एफएनएन, नई दिल्ली: लद्दाख की गलवां घाटी में चीन और भारत के बीच लगभग दो महीने तक चलने वाले सीमा विवाद के बाद आखिरकार चीन की सेना पीछे हटने पर मजबूर हो गई है। भारत के दबाव के बाद चीनी सैनिकों ने अपने स्थान से पीछे हटना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना भी अपने स्थान से पीछे हटी है। मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों में शांति स्थापित करने के लिए अग्रिम मोर्चे पर कुछ कदम उठाए गये हैं, जिसके तहत सैनिकों को वापस हटा लेने की प्रकिया शुरू की गई है। इस बारे में चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स की तरफ से कहा गया है कि सीमा पर तनाव को कम करने की बात हुई है। इसके लिए भारत और चीनी सेना ने फ्रंट सीमा से बैच के आधार पर सैनिक कम करने का फैसला लिया है। ये फैसला 30 जून को दोनों देशों के बीच हुई बैठक में लिया गया था।
क्या वाकई शांति चाहता है चीन?
चीन ने सीमा को वापस लेने का फैसला लिया और अब इसे चीनी मीडिया की शांति कायम करने के लिए लिया गया फैसला बताया जा रहा है। लेकिन क्या वाकई में चीन शांति चाहता है या भारत की सामरिक, कुटनीतिक और आर्थिक घेराबंदी से वो पस्त हो चुका है? आखिर क्या कारण है कि चीन पीछे हटा है? आईये कुछ बातों पर नजर डालने हैं।
चीन के लिए सैन्य संघर्ष आसान नहीं
चीन ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की और उसके जवाब में भारत ने भी सीमा पर अपना दम दिखाया। भारत ने चीन के अनुपात में ही सैनिकों को अग्रिम मोर्चों पर तमाम-अस्त्र शस्त्रों के साथ उतार दिया। सिर्फ सेना ही नहीं बल्कि टैंकों, मिसाइलों से लेकर हाई स्पीड बोट भी इसमें शामिल रही हैं। इतना ही नहीं, भारत ने सेना के साथ वायुसेना को भी हाईअलर्ट मोड पर रखा गया है, शनिवार और बीती सोमवार रात को सीमा पर हुए भारत की तरफ से निरिक्षण ऑपरेशन से चीन को बड़ा संदेश मिला।
मोदी का लेह दौरा चीन को कड़ा संदेश
इतना है नहीं भारतीय नौसेना ने भी हिन्द महासागर में चीनी नौसेना को रोकने के लिए तैयारी कर रखी है। वहीं इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेह का दौरा चीन को कड़ा संदेश दे गया। भले ही चीन सामने से लड़ने के प्रयास करता है, लेकिन वो ये भी जानता है कि भारत इस लड़ाई में कमजोर नहीं पड़ेगा और उसका साथ देने के लिए भी दुनिया के कई देश साथ खड़े हैं। इसलिए चीन के लिए सैन्य संघर्ष करना आसान नहीं है।
पीछे हटना महत्वपूर्ण
ये इसलिए भी जरूरी था क्योंकि यही वो जगह है जिसकी वजह से गलवान घाटी में संघर्ष हुआ था। यहीं भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे और इसी पॉइंट की वजह से विवाद शुरू हुआ था, इसलिए चीन का यहां से वापस लौटना बेहद महत्वपूर्ण है।
चीन के खिलाफ हुए सारे देश
भारत और चीन के बीच बढ़े विवाद के बाद अमेरिका ने खुल कर चीन का विरोध किया। अमेरिका कह चुका है कि चीन अपने पड़ोसियों को परेशान करता है। फिर इसमें अमेरिका के अलावा कई दूसरे देशों ने भी भारत का साथ दिया जिसमें फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। यहां तक कि चीन के करीबी वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस जैसे देश भी चीनी हरकतों से परेशान हैं। वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ भी पीएम मोदी की कुछ दिनों पहले हुई बातचीत में भारत ने रूस से 21 मिग-29 विमान खरीदने का एलान भी किया है। यहां समझा जा सकता है कि भारत के पास कई देशों का सपोर्ट है जबकि चीन अपने ही करीबियों के साथ से महरूम हो गया है। चीन के पास इस वक्त सिर्फ पाकिस्तान का साथ है।
चीन को हुआ आर्थिक नुकसान
चीन को अपनी हरकत की वजह से भारत से बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। 59 चीनी एप्स पर भारत ने बैन लगाया। इसके बाद कई बड़े हाईवे प्रोजेक्ट चीन से वापस ले लिए गए। निवेश रोकना, आयात कम करना और कस्टम ड्यूटी बढ़ाना जैसे कदम उठाना चीन को आर्थिक झटके दे रहा था।