Wednesday, July 30, 2025
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उत्तराखंड : सुशीला तिवारी अस्पताल में 3 गुना तक महंगा होगा इलाज! जानें क्या होंगे नए रेट

एफएनएन, हल्द्वानी : सरकारी अस्पतालों और देहरादून के राजकीय मेडिकल कॉलेज की तरह ही राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भी हर तरह की जांचें महंगी होंगी।  सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जांच-इलाज की सुविधा समान दर पर देने की कवायद शुरू हो गई है।

एसटीएच में इस समय करीब 20 साल पुरानी दरों पर ही इलाज की सुविधा दी जा रही है। यदि समान दर पर जांच-इलाज की अनुमति मिलती है तो पर्चा बनवाने से लेकर ईसीजी, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड तक के लिए मरीज को तीन से चार गुना कीमत चुकानी पड़ेगी। 5 रुपये के पर्चे के लिए 17, अल्ट्रासाउंड के लिए 150 के बजाय 364 और सीटी स्कैन के लिए 400 रुपये की बजाय डेढ़ से दो हजार रुपये चुकाने पड़ सकते हैं।

क्या है मामला : उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जांच-इलाज की सुविधा जल्द एक समान दर पर मिलेगी। इन मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य एक सप्ताह में महानिदेशक-चिकित्सा शिक्षा को इसका प्रस्ताव भेजेंगे। प्रदेश में वर्तमान में देहरादून, हल्द्वानी, श्रीनगर और अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज संचालित हैं।

मेडिकल कॉलेजों और सरकारी में जांच-इलाज की दरें
जांच    एसटीएच     दून मेडिकल कॉलेज    बेस हल्द्वानी
पर्ची              05 रुपये     17 रुपये     28 रुपये
ईसीजी           50 रुपये     177 रुपये     287 रुपये
सीटी स्कैन       400 रुपये     1500 से 2100     3400
ईको             150 रुपये     354 रुपये                      –
अल्ट्रासाउंड     150 रुपये     364 रुपये    525 रुपये
(नोट : दून मेडिकल कॉलेज पहले जिला अस्पताल हुआ करता था। 2016 में मेडिकल कॉलेज बना। ऐसे में 2016 से पूर्व में इसमें हर साल 10%यूजर चार्ज बढ़ते रहने के कारण वर्तमान में यहां जांच-इलाज की दरें अन्य मेडिकल कॉलेजों से अधिक हैं।)

  • ओपीडी का समय भी एक ही रहेगा

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों ने राय दी है कि 12 महीने ओपीडी का समय भी एक ही रखा जाए। यानी सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक ओपीडी चलाई जाए। अभी तक ओपीडी का समय गर्मियों में सुबह आठ से दोपहर दो और सर्दियों में सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक रहता है।

मेडिकल कॉलेजों में जांच-इलाज के लिए समाज दरें लागू होंगी तो इसका असर आम व्यक्ति पर पड़ेगा। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल काउंसिल ऐक्ट लागू होने के बाद से ही दरें नहीं बढ़ी हैं। इस अस्पताल पर पूरे कुमाऊं के मरीज निर्भर रहते हैं।

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