
एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा में 2012 से 2022 तक हुई बैकडोर भर्तियों की जांच विशेषज्ञ समिति करेगी। शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी भूषण ने पूर्व आईएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का एलान किया। समिति एक माह के भीतर रिपोर्ट देगी।
विधानसभा भर्ती प्रकरण पर हुई प्रेसवार्ता में स्पीकर रितु खंडूड़ी भूषण ने बताया कि समिति पहले चरण में 2012 से 2022 तक हुई बैकडोर भर्तियों की जांच करेगी। जरूरत पड़ने पर 2000 से 2011 तक हुई भर्तियों को जांच के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि जांच समिति में पूर्व आईएएस दिलीप कुमार कोटिया को अध्यक्ष, सुरेंद्र सिंह रावत व अवनेंद्र सिंह नयाल सदस्य होंगे। समिति के अध्ययक्ष व सदस्य कार्मिक सचिव रह चुके हैं।
- वर्ष 2011 में बनी थी सेवा नियमावली
विधानसभा में राज्य गठन के बाद से 2011 तक उत्तर प्रदेश की सेवा नियमावली लागू थी। इसके बाद प्रदेश विधानसभा की सेवा नियमावली बना कर भर्तियां की गई। 2015 व 2016 में सेवा नियमावली में संशोधन किया गया।
- विधानसभा सचिव को फोर्स लीव पर भेजा, कार्यालय किया सील
स्पीकर ने रितु खंडूड़ी भूषण ने वर्तमान विधानसभा सचिव मुकेश कुमार सिंघल को आगामी आदेश तक अवकाश पर भेजा। अवकाश की अवधि में जांच में सहयोग करने के लिए सचिव को विशेषज्ञ समिति के निर्देशों का पालन करना होगा। सचिव पर भी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में नियम विरुद्ध पदोन्नति के आरोप लग रहे हैं। साथ ही स्पीकर की देखरेख में कार्यालय को सील किया गया।
- चाहे जितने बदलाव करने पड़ें, करूंगी
विधानसभा की गरिमा को बनाए और बचाए रखना मेरा दायित्व ही नहीं, मेरा कर्तव्य भी है। किसी भी प्रकार की अनियमितता व अनुशासनहीनता स्वीकार्य नहीं है। इसके लिए मुझे जितने भी बदलाव करने पड़ें, मैं उसके लिए तैयार हूं। – रितु खंडूड़ी भूषण, विधानसभा अध्यक्ष
- जांच समिति सभी तथ्यों को स्पष्ट करेगी
विधानसभा अध्यक्ष का विशेषज्ञ जांच समिति गठित करने का निर्णय स्वागतयोग्य है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि जांच समिति विषय से जुड़े प्रत्येक तथ्य को स्पष्ट करेगी। हमारी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के लिए कृतसंकल्पित है।- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
- भाई-भतीजावाद करने वाले संन्यास लें
यिह शुचिता और नैतिकता से जुड़ा मामला है। निसंदेह स्पीकर को विशेषाधिकार प्राप्त है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह भर्तियों में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देगा। ऐसे करने वालों को नैतिकता के आधार संन्यास ले लेना चाहिए। – करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
- यह साहसिक व ऐतिहासिक फैसला है
- सबके साथ होगा न्याय