Sunday, December 22, 2024
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द्रोण कॉलेज के दो छात्रों की कॉर्बेट फॉल में नहाते वक्त डूबने से मौत, बड़ा सवाल- होनहारों की मौत का दोषी कौन?

एफएनएन, रुद्रपुर : द्रोण कॉलेज, दिनेशपुर से फार्मेसी का कोर्स कर रहे दो छात्रों की रविवार देर शाम नैनाताल जिले के कॉर्बेट फॉल में डूबने से मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, द्रोण कॉलेज के 27 छात्र-छात्राओं का ग्रुप रविवार को छुट्टी के दिन नैनीताल के पर्यटक स्थलों में घूमने के लिए गया था।

जानकारी के मुताबिक, कॉलेज की प्रिंसिपल हरप्रीत कौर, शिक्षक धीरज कुमार जोशी समेत 4 अन्य शिक्षक कॉलेज के छात्र और छात्राओं को आपसी सहमति से टूर पर साथ लेकर गए थे। तय किए कार्यक्रम के तहत इनको नैनीताल जाना था। वहीं नैनीताल में सैलानियों की संख्या बढ़ने से आगे न बढ़ पाने से अचानक फैकल्टी ने प्रोग्राम चेंज कर दिया और छात्र छात्राओं को लेकर कॉर्बेट फॉल लेकर चले गए। भीषण गर्मी के बीच कॉर्बेट फॉल में जाते ही यहां झरने में नहाने में प्रतिबंध के नोटिस को नजरअंदाज करते हुए शिक्षकों ने बेरोकटोक छात्र और छात्राओं को डेंजरस जोन में जाने से नहीं रोका। जबकि यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता था। बता दें कि नयागांव स्थित कॉर्बेट फॉल में नहाना प्रतिबंधित है। फॉल में तमाम जगह इसको लेकर सचेत करते हुए बोर्ड भी लगाए गए हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में पर्यटकों के साथ छात्र और छात्राएं भी झरने के नीचे नहाने चले गए। साथ में गए कॉलेज की फैकल्टी ने समय रहते सावधानी नहीं बरती। भीषण गर्मी के बीच छात्र-छात्राएं झरने में उतर गए।

इसी दौरान झरने के तेज बहाव और घुमाव के चलते रिंकी मंडल (18) व अभिजीत अधिकारी (19) पानी में फंसकर डूबने लगे। उनकी चीख के बीच कोई सुरक्षा इंतजाम न होने से कोई उनकी मदद को आगे नहीं आ पाया। इसके चलते दो होनहार छात्र जिंदगी से जंग हार गए। जिनके विश्वास पर दोनों छात्र यहां तक आए थे वो सभी असहाय तमाशबीन बनकर रह गए। सवाल यह है कि आखिर दो होनहारों की असमय मौत का जिम्मेदार कौन है? इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है इस घटना के बारह घंटे बीतने के बाद भी अभिजीत का शव बरामद नहीं हुआ है।

एसडीआरएफ समेत पुलिस के तैराक शव की खोजबीन में जुटे हैं। वहीं पूरे मामले में कॉलेज मैनेजमेंट फैकल्टी की जिम्मेदारी बता रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कॉलेज की प्रधानाचार्य समेत अन्य शिक्षकों ने इस मामले में मैनेजमेंट की अनुमति लेना जरूरी क्यों नहीं समझा? वहीं इससे बड़ा सवाल यह है कि एक ही कॉलेज के इतनी बड़ी संख्या में छात्र और छात्राओं के अपने ही कॉलेज के फैकल्टी के साथ जाने के बावजूद क्यों कॉलेज के प्रबंधन से यह बात छुपाई गई? सवाल यह भी है कि क्या कॉलेज प्रबंधन इस टूर के बारे में जानकारी रखता था लेकिन जिम्मेदारी से बचने के लिए वह अनजान बना रहा।

यह सवाल इस लिए भी लाजमी है क्योंकि हादसे के बाद अचानक कॉलेज प्रबंधन सक्रिय होता है और मौके पर पहुंच जाता है, साथ ही स्टाफ से बच्चों की जानकारी लेने के लिए सतर्क हो जाता है। सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद पुलिस भी करीब एक घंटे बाद मौके पर पहुंचती है। ऐसे में साफ है कि इस घटना से घबराकर खुद शिक्षकों या छात्र छात्राओं की ओर से ही कॉलेज के मैनेजमेंट को फोन किया गया था। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि इस घटना के बाद अगर कॉलेज मैनेजमेंट को फोन किया गया था तो क्यों इस टूर को ले जाने से पहले कॉलेज प्रबंधन को विश्वास में नहीं रखा गया। ऐसा तो नहीं था कि कॉलेज प्रबंधन इस टूर की जिम्मेदारी निभाने से पीछे हट रहा हो और फैकल्टी के आगे करते हुए बच्चों को उनके साथ भेज दिया गया हो।

अब पूरे मामले में जांच होती है तो यह साफ हो जाएगा कि दोषी कौन है। लेकिन गलती किसी की हो पर जिम्मेदारी तो मैनेजमेंट की ही तय होती है और मैनेजमेंट इस जिम्मेदारी से बच भी नहीं रहा है। क्रमश :

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