- निश्चित अवधि के बाद भी तापमान में नहीं आ रही गिरावट, गुत्थी सुलझाने में जुटे देश-विदेश के वैज्ञानिक
एफएनएन, नैनीताल। सूर्य के वाह्य आवरण (कोरोना) का बढ़ता तापमान देश और दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए पहेली बन गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि एक निश्चित अवधि के बाद सूर्य के तापमान में आने वाली गिरावट अब नहीं हो रही है। यह खतरनाक संकेत है। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अमेरिका, जापान और बुल्गारिया के वैज्ञानिकों के साथ कुमाऊं विश्वविद्यालय के सौर भौतिकी वैज्ञानिक प्रो. रमेश चंद्रा भी जुटे हैं।
सौर वातावरण से हजारों गुना गरम
प्रो.रमेश चंद्रा के मुताबिक, सूर्य के वाह्य आवरण को कोरोना कहते हैं। सौर वातावरण की तुलना में सूर्य का वाह्य आवरण यानि कोरोना हजारों गुना ज्यादा गर्म है। वैज्ञानिक कोरोना में आ रहे बदलाव पर अध्ययन कर रहे हैं।
चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन जिम्मेदार
प्रो. चंद्रा ने नासा के सोलर डायनामिक्स ऑब्जर्वेटरी से मिले अन्वेषणों के आधार पर हाल ही में सोलर जेट और उसके कोरोना के तापमान पर पड़ रहे प्रभाव का अध्ययन किया। उनका यह शोध जनरल एंट्रोफिजिकल में प्रकाशित भी हो चुका है। इसमें बताया गया है कि सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन ही इस उथल-पुथल के लिए जिम्मेदार हैं।
सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखने को उपग्रह भेजेगा इसरो
सूर्य की गतिविधियों के निकट से अध्ययन के लिए इसरो 2022 में आदित्य उपग्रह लॉन्च करेगा। यह सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखेगा। यह तापमान और चुंबकीय क्षेत्र का डेटा भी वैज्ञानिकों को मुहैया कराएगा। प्रो. चंद्रा भारत के वैज्ञानिकों के इस मिशन से जुड़े हुए हैं।
नासा से मिल रहा डेटा
2018 में लॉन्च हुआ नासा का पार्कर सोलर प्रोव सेटेलाइट लगातार सूर्य के कोरोना की ओर बढ़ रहा है। इससे तापमान और चुंबकीय क्षेत्र का डेटा मिल रहा है। नासा का यह उपग्रह भी सूर्य के बाह्य आवरण के तापमान में कमी नहीं आने की गुत्थी सुलझाने में मददगार होगा।
-प्रो. रमेश चंद्रा
सौर भौतिकी वैज्ञानिक, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल