Thursday, November 21, 2024
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराष्ट्रीयसुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सरकारों के फैसले...

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सरकारों के फैसले पर लगाई रोक

गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी छात्रों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट कराने और मदरसों से गैर मुस्लिम छात्रों को हटाने का मामला

एफएनएन ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने और मदरसों से गैर मुस्लिम छात्रों को हटाने के फैसले पर रोक लगा दी है।

जमीयत ने दायर की थी याचिका

उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के इस आदेश के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी। उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की उस रिपोर्ट पर आधारित था जिसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने और सभी मदरसों की जांच करने को कहा गया था।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के इस कथन का संज्ञान लिया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के संचार और केंद्र तथा कुछ राज्यों की कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है।

सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन न करने के कारण सरकारी अनुदान प्राप्त/सहायता प्राप्त मदरसों को बंद करने की एनसीपीसीआर की सिफारिश और केंद्र तथा राज्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

शीर्ष अदालत ने दिखाई सख्ती, एनसीपीसीआर और सरकारों के फैसले पर ब्रेक
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर के 7 जून, 25 जून और 27 जून के संचार और इसके बाद भी सभी फैसलों पर रोक लगा दी है। पीठ ने साफ किया है कि राज्यों के परिणामी आदेशों पर भी रोक रहेगी। न्यायालय ने मुस्लिम संगठन को अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी पक्षकार बनाने की भी अनुमति दे दी है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए।

फैसले का विपक्ष ने किया था जोरदार विरोध

इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा था। इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया था। इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ऐसे मदरसों को बंद करने की मांग नहीं की थी, बल्कि उन्होंने सिफारिश की थी कि इन संस्थानों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए, क्योंकि ये गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments