एफएनएन, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जन्म प्रमाण पत्र जालसाजी मामले में बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन, उनके परिवार के सदस्यों और कोच के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया. पीठ ने कहा कि सेन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना अनुचित है और यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इस मामले में विस्तृत फैसला आज शाम को अपलोड किया जाएगा.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार और शिकायतकर्ता एम जी नागराज को नोटिस जारी किया था. इन्होंने आरोप लगाया था कि लक्ष्य सेन और उनके भाई चिराग सेन के जन्म प्रमाण पत्र जाली हैं. हाईकोर्ट ने कहा था कि मामले की जांच के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. हाईकोर्ट ने कहा, ‘जब प्रथम दृष्टया अपराध की पुष्टि करने वाली सामग्री रिकॉर्ड में दर्ज है, तो मुझे जांच रोकने या आपराधिक कार्यवाही रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता.’
आरोप लगाया गया कि पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन लक्ष्य और चिराग के जन्म प्रमाण पत्रों में कथित तौर पर बदलाव करके उनकी उम्र लगभग ढाई साल कम कर दी गई. यह दावा किया गया था कि आयु-प्रतिबंधित बैडमिंटन टूर्नामेंट के लिए योग्यता प्राप्त करने और सरकारी लाभ प्राप्त करने में मदद करने के लिए अभिलेखों में हेराफेरी की गई थी. पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेजों को वास्तविक के रूप में उपयोग करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.