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दो IAS और PCS अफसर किए गए थे निलंबित
एफएनएन, रुद्रपुर : जीरो टॉलरेंस को लेकर करीब 8 साल पहले सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी अब अपने फैसलों को लेकर चर्चा में है। दरअसल मामला एनएच 74 घोटाले से जुड़ा हुआ है। सुर्खियों में रहे इस मामले में अजब गजब फैसले से सरकार सुर्खियों में है। शासन ने इस घोटाले में मुख्य आरोपी पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह यानी डीपी सिंह को सभी आरोपों से क्लीन चिट दे दी है। उनके खिलाफ चल रही अनुशासनिक कार्यवाही को बिना किसी दंड के खत्म कर दिया गया है, साथ ही न्यायालय में उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की पूर्व में दी गई अनुमति को भी निरस्त कर दिया गया है।
भाजपा सरकार के सत्ता में आने और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कुर्सी संभालते ही मार्च, 2017 को तत्कालीन कमिश्नर डॉ. सेंथिल पांडियन ने करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया था। तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने सिडकुल चौकी में एनएचएआई के अधिकारी, कर्मचारियों के साथ ही सात तहसीलों के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इस मामले में एसआईटी का गठन भी किया गया था। इस घोटाले में दो आईएएस और पांच पीसीएस अफसर निलंबित किए गए। 30 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी, दलाल और किसानों को जेल जाना पड़ा था। राजघाटन के बाद यह पहला मौका था जबकि पीसीएस अधिकारियों को जेल जाना पड़ा।
इस मामले में एसआईटी ने तत्कालीन एसएलओ और पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह को मुख्य आरोपी बनाया था। करीब 14 महीने तक डीपी सिंह को जेल में रहना पड़ा था। इस घोटाले में ईडी और आयकर विभाग भी सक्रिय हुआ था। अधिकारियों और किसानों की करोड़ों रुपयों की संपत्ति को अटैच किया गया। एसआईटी की ओर से वर्ष 2019 में घोटाले की चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई। एसआईटी की जांच में 400 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। यह मामला अदालत में विचाराधीन है।
इधर शासन ने 25 जनवरी 2024 को इस मामले में जांच अधिकारी नामित किया था। जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर घोटाले के मुख्य आरोपी बनाए गए पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की ओर से 12 अप्रैल को इसका आदेश भी जारी किया जा चुका है। इसके साथ ही 17 जनवरी 2018 को शासन की ओर से न्यायालय में डीपी सिंह के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति को निरस्त कर दिया है।
इधर, संयुक्त निदेशक विधि की ओर से भी भ्रष्टाचार अधिनियम कोर्ट को भी अवगत करा दिया गया है। इधर यह बता देना भी जरूरी है कि एनएच 74 घोटाले में दिनेश प्रताप सिंह सहित दस आरोपियों ने पिछले साल हाईकोर्ट में निचली अदालत की ओर से ईडी को अलग-अलग शिकायतों पर केस दर्ज करने के आदेश को चुनौती दी थी। आदेश को गलत करार दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश के सही ठहराते हुए याचिका को निरस्त कर दिया था।
अब सवाल यह भी है कि जब दिनेश प्रताप सिंह से ही मुकदमा हटा लिया गया है तो अन्य आरोपियों पर यह मुकदमा कैसे चल पाएगा। क्या शान उन्हें भी क्लीन चिट देगा?
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