एफएनएन, देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर श्रीमद् भगवद् गीता और रामायण को राज्य पाठ्यचर्या की रुपरेखा में शामिल कर लिया गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती के मुताबिक विद्यालयी शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा की सिफारिश के अनुरूप पाठ्य पुस्तकों को अगले शिक्षा सत्र से लागू किया जाना प्रस्तावित है।
शिक्षा निदेशक ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत छात्र-छात्राओं को भारतीय ज्ञान परंपरा का आधार एवं ज्ञान प्रणाली का अध्ययन कराया जाना है, इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम व पाठ्य पुस्तकें विभिन्न कक्षाओं के लिए विकसित करने की कार्रवाई की जा रही है।
छह मई को मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा से अवगत कराया गया, इस दौरान मुख्यमंत्री ने भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत श्रीमद् भगवद् गीता और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश दिया।
शिक्षा निदेशक ने कहा, श्रीमद् भगवद् गीता को जीवन के हर क्षेत्र में पथ प्रदर्शक माना गया है। इसका वैज्ञानिक आधार भी है। जो न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है बल्कि यह मानव जीवन के विज्ञान, मनोविज्ञान तथा व्यवहार शास्त्र का भी उत्कृष्ट ग्रंथ है, जिसमें मनुष्य के व्यवहार, निर्णय क्षमता, कर्तव्यनिष्ठा, तनाव प्रबंधन एवं विवेकपूर्ण जीवन जीने के वैज्ञानिक तर्क निहित हैं। विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को एक श्रेष्ठ नागरिक बनाए जाने के दृष्टिगत श्रीमद् भगवद् गीता मील का पत्थर साबित हो सकती है।