Saturday, June 7, 2025
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Homeराज्यउत्तर प्रदेशश्रीकांत शिंदे बोले- हमने सबूतों के साथ पाकिस्तान का खोला कच्चा चिट्ठा

श्रीकांत शिंदे बोले- हमने सबूतों के साथ पाकिस्तान का खोला कच्चा चिट्ठा

एफएनएन, नई दिल्ली: शिवसेना नेता श्रीकांत शिंदे ने कहा है कि भारत ने ’ऑपरेशन सिंदूर’ पर पाकिस्तानी विमर्श को ध्वस्त करने में सफलता प्राप्त की है, खासकर इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्य देशों के बीच, जहां इस्लामाबाद सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के बाद सहायता मांगता है।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और पश्चिमी अफ्रीका के देशों में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने वाले शिंदे ने कहा कि इस अनूठी पहल ने आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता के भारत के संदेश को उन देशों तक जोरदार तरीके से पहुंचाने का अवसर प्रदान किया है, जिनका ओआईसी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे बहुपक्षीय मंचों पर अलग रुख है।

शिंदे के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त अरब अमीरात, सिएरा लियोन, लाइबेरिया और कांगो का दौरा किया तथा अपनी 14 दिवसीय यात्रा के दौरान वहां की सरकारों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों, संबंधित देशों के सांसदों, थिंक टैंक और प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत की।

कल्याण से लोकसभा सदस्य शिंदे ने कहा, “ मुझे लगता है कि पाकिस्तान ने इन देशों में जो दुष्प्रचार करने की कोशिश की थी, हम उसका भंडाफोड़ करने में सफल रहे। पाकिस्तान ने हमले करने के लिए सीमा पार से आतंकवादियों को भारत भेजा था। हमने सभी तथ्य और सबूत उपलब्ध कराए। यह एक बहुत ही सफल संपर्क कार्यक्रम था।”
शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में बांसुरी स्वराज (भाजपा), ईटी मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल), अतुल गर्ग (भाजपा), सस्मित पात्रा (बीजद), मनन कुमार मिश्रा (भाजपा), पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया और पूर्व राजनयिक सुजान चिनॉय शामिल थे। शिंदे ने कहा, “हम दृढ़ता से यह संदेश देने में सफल रहे कि भारत पूरी दुनिया को प्रौद्योगिकी और व्यापार उपलब्ध कराता है, जबकि पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंकवादी भेजता है।”

उन्होंने कहा कि अमेरिका में 11 सितंबर 2001 में हुए आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन सालों तक पाकिस्तान में छुपा रहा और वह भी एबटाबाद में एक सैन्य शिविर के नजदीक जहां बाद में अमेरिकी बलों ने उसे मार गिराया। यूएई और सिएरा लियोन ओआईसी के सदस्य हैं, जबकि कांगो और लाइबेरिया को 2026-28 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है।

शिंदे ने कहा, “हम धर्म के नाम पर आतंकवाद फैलाने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करने के लिए ओआईसी के सदस्य देशों के पास गए थे। वह ओआईसी देशों से सुरक्षा की भी मांग कर रहा है और तर्क दे रहा है कि वह मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा कर रहा है।” यूएई की यात्रा के दौरान, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सहिष्णुता और सह-अस्तित्व मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान से मुलाकात की, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति मजबूत समर्थन व्यक्त किया।

शिंदे ने कहा,“ यूएई के मंत्री ने हमें बताया कि उनके यहां ऐसे किसी भी देश के लिए कोई जगह नहीं है जो आतंकवाद फैलाने के लिए धर्म का दुरुपयोग करता है और वे ऐसे कार्यों की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।” सांसद ने कहा कि पश्चिमी अफ्रीकी देशों का नेतृत्व पाकिस्तान के साथ भारत की समस्याओं से अवगत है और भारतीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से सीमापार आतंकवाद के मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करने में मदद मिली।

शिंदे ने कहा कि सिएरा लियोन ने पहलगाम आतंकवादी हमले और पाकिस्तान की भूमिका की निंदा की तथा उनके संसद सदस्यों ने भी इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया तथा आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए कुछ क्षण का मौन रखा।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक बड़ी घटना है, जहां ओआईसी का एक सदस्य राष्ट्र, ओआईसी के दूसरे सदस्य राष्ट्र के कार्यों की निंदा कर रहा है।” शिंदे ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की पश्चिमी अफ्रीकी देशों की यात्रा से उन देशों के नेतृत्व को भारत में आतंकवाद फैलाने के पाकिस्तान के बार-बार के प्रयासों से अवगत कराने का अवसर भी मिला।

उन्होंने कहा, “हमने उन्हें 1947 से भारत में हुए हमलों के बारे में जानकारी दी और बताया कि किस तरह पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को पनपने दिया जा रहा है। हमने नेतृत्व को यह भी बताया कि किस तरह संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा घोषित वैश्विक आतंकवादी पाकिस्तान में खुलेआम घूमते हैं। किस तरह वे भारतीय संसद और मुंबई, दिल्ली तथा अन्य जगहों पर हमले करते हैं।”

उन्होंने कहा कि पश्चिमी अफ्रीकी देशों का नेतृत्व भी चाहता है कि भारत संसाधन संपन्न क्षेत्र में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाए। शिंदे ने कहा कि वह विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपने संपर्क कार्यक्रम पर एक रिपोर्ट सौंपेंगे और भारत से इन देशों की अपेक्षाओं के बारे में भी बताएंगे।

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