एफएनएन, देहरादून: पर्यटन एवं तीर्थाटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण देवभूमि की वादियों की हवाई सैर अब आसान और सुलभ होगी। सैलानियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार लगातार हेली सेवाओं को विस्तार दे रही है।
उत्तराखंड में नैसर्गिक सौंदर्य की कोई कमी नहीं है। कहीं ऊंचे-ऊंचे पर्वत तो कहीं मखमली बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
यहां सुदूरवर्ती पर्वतों के बीच बनी प्राकृतिक झीलें पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ ही पौराणिक महत्व की भी हैं। इसके अलावा तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जो विश्व पर्यटन के नक्शे में अपना स्थान बना रहे हैं।
अभी यहां हो रहा हेली सेवाओं का संचालन
प्रदेश में उड़ान योजना के तहत देहरादून से चिन्यालीसौड़, देहरादून से गौचर, देहरादून से टिहरी, देहरादून से श्रीनगर, देहरादून से अल्मोड़ा व हल्द्वानी से पिथौरागढ़ के लिए हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है।
तीर्थाटन को देहरादून से केदारनाथ व चमोली जिले के विभिन्न स्थानों से केदारनाथ व हेमकुंड साहिब के लिए हेली सेवाएं संचालित की जा रही हैं। इन्हें मिलाकर प्रदेश में 51 स्थानों पर हेलीपैड बने हुए हैं।
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भूमि का हुआ चुनाव
अब प्रदेश सरकार छह अन्य स्थानों पर हेलीपैड बनाकर यहां से हेली सेवाओं का संचालन शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। मकसद यह कि इन क्षेत्रों में नियमित हेली सेवाओं का संचालन किया जा सके।
पहले एक हेलीपैड त्रियुगीनारायण में बनाने की तैयारी थी लेकिन यहां जगह न मिलने के कारण अब अगस्त्यमुनि में हेलीपैड बनाया जा रहा है। प्रदेश में हेली सेवाओं को विस्तार दिया जा रहा है। इस कड़ी में छह स्थानों पर नए हेलीपैड बनाने की तैयारी है। इसके लिए भूमि चिह्नित हो चुकी हैं।