एफएनएन, नई दिल्ली: दिल्ली की तीन लोकसभा क्षेत्रों से कांग्रेस के प्रत्याशियों का चयन राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के स्तर पर भी नहीं हो सका। अब प्रत्याशियों के चयन की गेंद खरगे के पाले से निकलकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास चली गई है।
दिल्ली की सातों लोकसभा क्षेत्रों से इस बार आप और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं। चार सीटें आप के पास हैं, जबकि तीन कांग्रेस को मिली हैं।
दिलचस्प यह कि आप अपने चारों उम्मीदवार लगभग डेढ़ माह जबकि भाजपा अपने सातों प्रत्याशी करीब एक महीने पहले घोषित कर चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस अपने तीन उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है। प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी और पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की कई बैठकों के बाद भी नामों पर सहमति नहीं बन सकी है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, चांदनी चौक सीट से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल एवं उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान का नाम प्रस्तावित किया गया था।
लेकिन सीईसी में उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से कन्हैया कुमार, चांदनी चौक सीट से संदीप दीक्षित और उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से उदित राज का नाम रख दिया गया। इससे जयप्रकाश अग्रवाल का नाम कटने की संभावना बन गई। इसी पर विवाद खड़ा हो गया है और नाम तय नहीं हो पा रहे हैं।
कुछ नेता पक्ष में नहीं
पार्टी नेताओं का कहना है कि कन्हैया कुमार का नाम जेएनयू में की गई नारेबाजी और भाजपा छोड़ने के बाद हिंदुत्व के विरोध में उदित राज की टिप्पणियों के कारण इन्हें प्रत्याशी बनाने से दिल्ली में गलत संदेश जाएगा।
इसी तरह जयप्रकाश अग्रवाल चांदनी चौक सीट पर काफी मजबूती से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि उनका टिकट काटना पार्टी के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।
कन्हैया का नाम कटा तो लवली इस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो इसीलिए आलाकमान भी सारे मामले को देख रहा है। संभावना जताई जा रही है कि सीईसी के नामों को ही अंतिम स्वीकृति दे दी जाए। अगर किसी सूरत में उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार का नाम हटाया जाता है, तब प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को इस सीट से लड़ने के लिए कहा जा सकता है।
इसी तरह चांदनी चौक से संदीप दीक्षित का नाम हटाकर जयप्रकाश अग्रवाल को टिकट दी जा सकती है। उत्तर पश्चिमी सीट पर बदलाव के आसार थोड़े कम ही लग रहे हैं। वैसे नेताओं की मानें तो रस्साकशी अभी जारी है।