एफएनएन, ऋषिकेश : सरकार कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव के लिए विभिन्न योजनाएं और अभियान चला रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति यह है कि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को पता ही नहीं कि स्तन कैंसर व सर्वाइकल कैंसर जैसी भी कोई बीमारी होती है। दूरस्थ ग्रामीण की अधिकांश महिलाओं ने इन बीमारियों का नाम तक नहीं सुना है। यह चौंकाने वाले तथ्य एम्स के चिकित्सकों के एक शोध में सामने आए हैं। यह शोध बीती मई माह में अमेरिका के प्रसिद्ध कैंसर कॉजेज एंड कंट्रोल नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
यूकास्ट के सहयोग से एम्स के चिकित्सकों ने स्तन कैंसर व सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए पौड़ी जनपद के दूरस्थ चार विकासखंडों की ग्रामीण महिलाओं पर शोध किया। जनवरी 2022 से दिसंबर 2023 तक किए गए इस शोध में दूरस्थ विकासखंड नैनीडांडा, रिखणीखाल, जयहरीखाल व पोखड़ा की 589 महिलाओं को शामिल किया गया। महिलाओं से स्तन कैंसर व सर्वाइकल (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) के बारे में जानकारी पूछी गई। एम्स के इस शोध में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
शोध टीम में शमिल कैंसर रोग विभाग के डाॅ. दीपक सुंद्रियाल ने बताया कि सर्वे में 18 वर्ष की युवती से लेकर 65 वर्ष तक की महिलाओं को शामिल गया। शोध में स्पष्ट हुआ कि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की 38 फीसदी महिलाओं को पता ही नहीं है कि स्तन कैंसर जैसी कोई बीमारी भी होती है। इससे ज्यादा खराब स्थिति सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) की जानकारी से संबंधित है।
सिर्फ 6.5 फीसदी महिलाओं को ही पता सर्वाइकल कैंसर टीके के बारे में
दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र की 79 फीसदी महिलाओं ने सर्वाइल कैंसर का नाम तक नहीं सुना है। जिन महिलाओं को इन दोनों बीमारियों के बारे में थोड़ा बहुत जानकारी है भी तो उसमें से भी 14 से 50 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें इन बीमारियों के प्राथमिक लक्षणों की कोई पहचान ही नहीं है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए लगने वाले टीके के बारे में तो सिर्फ 6.5 फीसदी महिलाओं को ही पता है। शोध में सकारात्मक पहलू यह निकलकर आया है कि 57 फीसदी महिलाओं ने सुविधा व जानकारी मिलने पर कैंसर जैसी बीमारी के लिए नियमित समय पर जांच के लिए हामी भरी। इससे स्पष्ट है कि यदि दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं को जानकारी व सुविधा मिले तो वह इन जानलेवा बीमारियों से बचाव में पूरी सक्रियता दिखाएंगी।