एफएनएन, बरेली : ढाई दशक से बंद फतेहगंज पश्चिमी की रबर फैक्ट्री की 13 सौ एकड़ जमीन पर कब्जा लेने के लिए प्रशासन ने एक कदम आगे बढ़ाया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने जमीन पर कब्जा लेने के लिए जिला कोर्ट में वाद दर्ज कराने के लिए शासन से अनुमति मांगी है। यूपीसीडा के क्षेत्रीय कार्यालय से औद्योगिक अनुभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद वाद दर्ज कराया जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट में केस की पैरवी में लगे वरिष्ठ अधिवक्ताओं की सलाह पर प्रशासन स्थानीय कोर्ट में वाद दर्ज कराने की तैयारी में जुटा है।
दरअसल, शासन ने पिछले साल दिसंबर में रबर फैक्ट्री की जमीन वापस लेने के लिए जिला प्रशासन को बॉम्बे हाईकोर्ट के साथ डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) में अलग से वाद दर्ज कराने को मंजूरी दी थी। वहां वाद दर्ज कराने के लिए शासन ने बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य ठक्कर और सौभाग्य अग्रवाल को नामित किया। दोनों अधिवक्ताओं ने केस की स्टडी की। बॉम्बे हाईकोर्ट से दिसंबर 2023 में आए फैसले का भी अधिवक्ताओं ने अध्ययन किया, जिसमें राज्य सरकार को पक्षकार बनने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।
केस को समझने के बाद दोनों अधिवक्ताओं ने प्रशासन को यह सुझाव दिया कि वह फैक्ट्री की भूमि पर पजेशन (कब्जा) लेने के लिए बरेली जिला जज की कोर्ट में डीजीसी (सिविल) के जरिये वाद दर्ज कराएं। इसके बाद प्रशासन ने मंथन शुरू किया। हाल ही में यूपीसीडा के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से वाद दर्ज कराने के लिए अनुमति लेने को प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास को पत्र भेजा गया। प्रशासनिक अफसरों ने बताया, अभी शासन से अनुमति नहीं मिली है। अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।
दरअसल, रबड़ फैक्ट्री के लिए 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को 3.40 लाख रुपये में 1382.23 एकड़ भूमि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने लीज पर दी थी। लीज डीड में यह शर्त शामिल थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार जमीन वापस ले लेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। फैक्ट्री 15 जुलाई 1999 से बंद है। प्रशासन जमीन वापस लेने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में केस लड़ रहा है।