एफएनएन, ऋषिकेश : ऋषिकेश और राजधानी देहरादून के बीच रानी पोखरी में 57 वर्ष पुराने मोटर पुल के बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद लोक निर्माण विभाग के समक्ष इस पुल के स्थान पर नए पुल का निर्माण एकमात्र विकल्प रह गया है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने पुल का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद बताया कि यहां नए पुल के लिए केंद्रीय सड़क निधि से करीब 1411.18 लाख रुपया स्वीकृत हुआ था। पुराना पुल मरम्मत करने लायक नहीं रह गया है। इसलिए इसके स्थान पर नया पुल बनाया जाएगा, जिस पर अंतिम निर्णय शासन को लेना है। ऋषिकेश और देहरादून के मध्य रानीपोखरी में वर्ष 1964 में लोक निर्माण विभाग की ओर से टू लेन पुल का निर्माण कराया गया था। 57 वर्ष पुराना यह पुल ओपन फाउंडेशन पर निर्मित किया गया था। शुक्रवार की दोपहर जाखन नदी में आई बाढ़ से पुल के दोनों और पिलर क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस कारण यह पुल दो जगह से टूट गया था। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने क्षतिग्रस्त पुल का निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि ऋषिकेश की दिशा में पुल के शुरुआत में चार पिलर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिससे पुल का एक हिस्सा टूट गया था। इसके बाद पुल के दो पैनल क्षतिग्रस्त हुए, जिससे पुल का एक हिस्सा टूट गया। उन्होंने बताया कि पुल के सेंटर में दो पैनल पर भी अत्यधिक दबाव होने के कारण इनके क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। बताया कि वर्ष 2020 में केंद्रीय सड़क निधि से यहां एक अन्य नए पुल के लिए 1411.18 लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। इस पुल के स्थान पर उपरोक्त धनराशि से नया पुल बनाया जा सकता है। विभाग शीघ्र ही इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजेगा। प्रमुख अभियंता ने बताया कि फौरी व्यवस्था के लिए नदी में पानी का बहाव कम होने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद यहां सीमेंट के पाइप डालकर काजवे बनाया जाएगा। भोगपुर थानो रोड को भी वैकल्पिक मार्ग के रूप में प्रयोग में लाने पर भी विचार किया जा रहा है। प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा के अनुसार पुल के क्षतिग्रस्त होने का प्रमुख कारण प्रथमदृष्टया यही नजर आ रहा है कि नदी के पानी का दबाव किनारे की तरफ ज्यादा था। पानी का दबाव एक जगह बढ़ने से पुल की बुनियाद खोखली हो गई और पुल टूट गया।

ये है ओपन फाउंडेशन तकनीक
57 वर्ष पूर्व जब जाखन नदी के ऊपर रानीपोखरी में पुल का निर्माण हुआ था। उस वक्त ओपन फाउंडेशन यानी जमीन के ऊपरी तल पर बुनियाद पर आधार बनाकर पुल का निर्माण किया गया था। मुख्य अभियंता हरिओम शर्मा ने बताया कि नदी के जल प्रवाह के हिसाब से बुनियाद की गहराई तय की जाती है। सामान्यता चार मीटर गहराई तक इस तरह के पुल की बुनियाद डाली जाती है। पुराने समय में भवनों का निर्माण भी इसी तकनीकी पर होता था। अब अत्यधिक जल दबाव वाली नदियों में अधिकतर नए पुल वेल फाउंडेशन तकनीक पर निर्मित हो रहे हैं। मुनिकीरेती में गंगा का जलस्तर अविरल है। इस कारण यहां 12 मीटर की गहराई तक वेल फाउंडेशन डालने के बाद पुल का निर्माण किया गया था। रानी पोखरी में अब नया पुल जब भी निर्मित होगा उसमें ओपन फाउंडेशन की जगह वेल फाउंडेशन तकनीक प्रयोग में लाई जाएगी।
दिसंबर 2020 में भरवाए थे ब्लाक
लोक निर्माण विभाग ऋषिकेश ने रानीपोखरी जाखन पुल के नीचे दिसंबर 2020 में करीब 40 लाख रुपये की लागत से सुरक्षा दीवार का निर्माण कर ब्लाक भरे थे। भोगपुर निवासी सुधीर जोशी ने बताया कि उस वक्त उन्होंने पुल के नीचे बनाई जा रही सुरक्षा दीवार निर्माण में निम्न गुणवत्ता की शिकायत भी प्रशासन से की थी। लेकिन उस वक्त कोई कार्रवाई नहीं हुई।