Saturday, July 27, 2024
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Homeराज्यउत्तर प्रदेशअयोध्या में पारिजात का पौधा भी लगाएंगे प्रधानमंत्री, जानिए महत्व

अयोध्या में पारिजात का पौधा भी लगाएंगे प्रधानमंत्री, जानिए महत्व

एफएनएन, अयोध्या: पांच अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री  मोदी श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाएंगे। कहते हैं पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। मान्यता है कि पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है। पारिजात खासतौर से मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में अधिक उगता है। जानिए आखिर क्या है इस पौधे का महत्व जिसकी वजह से इस दिव्य वृक्ष को पूजन समारोह का हिस्सा बनाया जाएगा।

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पारिजात का महत्व

पारिजात के फूल को भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है। इसलिए इस मनमोहक और सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। खास बात ये है कि पूजा-पाठ में पारिजात के वे ही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं। पूजा के लिए इस वृक्ष से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध है। ये फूल रात में ही खिलता है और सुबह होते ही इसके सारे फूल झड़ जाते हैं।

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पारिजात के फायदे

तनाव घटाता: पारिजात के फूल आपके जीवन से तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखता है। इसकी सुगंध आपके मस्तिष्क को शांत कर देती है। रोज इसका एक बीज सेवन करने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।

थकान मिटाता: पारिजात के यह अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह होते होते वे सब मुरझा जाते हैं। यह माना जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है। पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर खाने से सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है.

शांति और समृद्धि: हरिवंश पुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है। इन फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन केवल वही फूलों को इस्तेमाल किया जाता है जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। यह फूल जिसके भी घर आंगन में खिलते हैं वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।

हृदय रोग: हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने का असरकारक उपाय है, लेकिन यह उपाय किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही किया जा सकता है।

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