- कहा- हमला लोकतंत्र की मौत जैसा, आग से न खेलें… मैडम प्लीज!
एफएनएन, कोलकाता: पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद टीएमसी अध्यक्ष ने दी थी. गवर्नर ने सीएम से अपना बयान वापस लेने को कहा है और उन्हें नसीहत दी है कि ‘मैडम प्लीज, आग से न खेलें’. इससे पहले राज्यपाल धनखड़ ने शुक्रवार सुबह ही राज्य में गिरती-कानून व्यवस्था पर एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी थी।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी दिल्ली तलब
गवर्नर की रिपोर्ट पर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलप्पन बंदोपाध्याय और डीजीपी वीरेंद्र को सोमवार को दिल्ली तलब कर लिया गया है। राज्यपाल धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘पश्चिम बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष के काफिले पर सत्ताधारी पार्टी और राजनीतिक पुलिस के समर्थन से हुए हमले की खबरों से चिंतित हूं। आज सवेरे ही मुख्य सचिव और डीजीपी को इस बारे में अलर्ट किया था फिर भी कानून को तोड़ा गया। हमले में शामिल लोगों को राज्य में सत्तारूढ़ प्रशासन का समर्थन भी प्राप्त था। यह लोकतंत्र के लिए एक मौत की तरह है। मैंने अपनी रिपोर्ट में ऐसा ही लिखा है।”
हमलावरों के हाथों में झंडे, पत्थर, लाठी-डंडे भी थे
बता दें कि कोलकाता में गुरुवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था। हमलावरों ने उनके काफिले पर न केवल ईंटें बरसाईं बल्कि उनके हाथों में काले झंडे, लाठी-डंडे और पत्थर भी देखे गए थे. इस हमले में काफिलें में चल रहीं कुछ कारें क्षतिग्रस्त हुई थीं और कुछ नेताओं को भी चोटें आई थीं। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस हमले के पीछे राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का हाथ है। नड्डा के काफिले पर हमला कोलकाता के डायमंड हार्बर इलाके में हुआ जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का संसदीय क्षेत्र है।
मानवाधिकार दिवस पर हमला बेहद शर्मनाक
कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए इस हमले के लिए ममता बनर्जी सरकार की निंदा करते हुए धनखड़ ने कहा कि राज्य में स्थानीय और बाहरी का खतरनाक खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह और भी शर्मनाक है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर हुई। राजभवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा, ‘‘ मैंने केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेज दी है जिसकी सामग्री प्रशासनिक शुचिता को ध्यान में रखते हुए मीडिया से साझा नहीं की जा सकती।”