
राज्य सूचना आयुक्त ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए लोक सूचना अधिकारी समेत संबंधित ग्राम प्रधानों को तलब किया था। आयोग में प्रधानों ने ही लिखित में जवाब देकर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की कलई खोल दी। उन्होंने बताया कि समस्त जानकारी पंचायत विकास अधिकारी के पास ही है। सुनवाई के दौरान जब यह स्पष्ट हो गया कि सूचनाएं जानबूझकर छुपाई जा रही हैं तो आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिला पंचायतीराज अधिकारी को भी पक्षकार बना दिया। साथ ही प्रकरण में गंभीरता से कार्रवाई के निर्देश दिए।
आयोग के रुख को देखते हुए जिले के डीपीआरओ ने पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य को निलंबित कर दिया। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने पंचायत विकास अधिकारी पर 25 हजार रुपए का अधिकतम जुर्माना लगाने के साथ ही डीपीआरओ को पंचायत अधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के निर्देश भी दिए। इसके अलावा मांगी गई सूचनाओं को उपलब्ध करने के निर्देश डीपीआरओ को दिए गए और कहा गया कि यदि अभिलेख पत्रावली में नहीं पाए जाते हैं तो आयोग को सूचित किया जाए।

