एफएनएन, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र ATS की जासूसी मामले की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पाकिस्तानी खुफिया नेटवर्क ने भारत में अपने ऑपरेशन के लिए न केवल हनीट्रैप का इस्तेमाल किया, बल्कि व्हाट्सएप और टेलीग्राम अकाउंट्स की प्रोफाइल फोटो में भगवान राम-सीता और प्रसिद्ध मंदिरों की तस्वीरें लगाकर भारतीय डिजिटल माहौल में घुलने-मिलने की कोशिश की।
सूत्रों के अनुसार, इन प्रोफाइल्स में लोकेशन टैगिंग भी मंदिरों और धार्मिक स्थलों से जोड़ी गई थी, ताकि ये नंबर ‘स्थानीय’ लगें और कोई शक न करे। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह सांस्कृतिक प्रतीकों के जरिए भरोसा हासिल करने और संदेह से बचने की सोची-समझी रणनीति थी।
रवि वर्मा को न्यायिक हिरासत
इस मामले में गिरफ्तार रवि वर्मा को गुरुवार को ठाणे की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वर्मा पर भारतीय युद्धपोतों से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप है।
ATS ने कोर्ट में दावा किया कि उन्हें नए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मिले हैं, जिनकी जांच के लिए और रिमांड चाहिए, लेकिन कोर्ट ने यह मांग खारिज कर दी। रवि वर्मा की ओर से वकील रुपाली शिंदे ने तर्क दिया कि ATS की जांच में विरोधाभास है। उन्होंने कहा कि एजेंसी एक महिला को ‘प्रीति जायसवाल’ बता रही है, जबकि वर्मा से संपर्क करने वाली महिला खुद को ‘जसप्रीत’ बताती थी और दिल्ली या पंजाब की रहने वाली होने का दावा करती थी।
फर्जी सिम कार्ड दिल्ली, मुंबई, गुजरात और यूपी के
ATS अधिकारियों ने बताया कि ‘प्रीति जायसवाल’ और ‘सर’ जैसे नाम पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव (PIO) नेटवर्क द्वारा इस्तेमाल किए गए फर्जी नाम हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस हनीट्रैप ऑपरेशन में कई फर्जी मोबाइल नंबरों का उपयोग किया गया, जो दिल्ली, मुंबई, गुजरात और उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड थे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए सिम कार्ड हासिल कर सक्रिय किए गए थे।
प्रीति, निशा, आकृति जैसे नामों से सेव नंबर
जांच में सामने आया कि रवि वर्मा के मोबाइल में इन एजेंट्स के नंबर ‘प्रीति फ्रेंड’, ‘जसप्रीत कॉलेज फ्रेंड’, ‘निशा फ्रेंड’, ‘आकृति फ्रेंड’ जैसे सामान्य नामों से सेव थे। इससे लगता है कि वर्मा को कोई संदेह नहीं हुआ। ATS को शक है कि रवि वर्मा इस नेटवर्क का अकेला निशाना नहीं था। पाकिस्तान समर्थित यह जासूसी नेटवर्क देशभर में कई लोगों को इसी तरह निशाना बना रहा है, जिसमें भारतीय सिम कार्ड, धार्मिक प्रतीकों और सोशल मीडिया का दुरुपयोग शामिल है।