एफएनएन, देहरादून: उत्तराखंड सरकार स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही अधिक से अधिक विभागीय कामों को दिए जाने पर जोर दे रही है. इसके तहत, उत्तराखंड अधिप्राप्ति (प्रोक्योरमेंट) नियमावली में स्थानीय ठेकेदारों को विभागों से 5 करोड़ रुपए तक का काम दिए जाने का प्रावधान था. अब उत्तराखंड सरकार प्रोक्योरमेंट नियमावली में संशोधन करने जा रही है. जिसके तहत स्थानीय ठेकेदारों को विभागों से अब 10 करोड़ रुपए तक का काम दिया जा सकेगा. इसके लिए धामी मंत्रिमंडल ने प्रोक्योरमेंट नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है.
उत्तराखंड के लोकल ठेकेदारों के लिए खुशखबरी: दरअसल, वित्त विभाग की ओर से 17 जुलाई 2017 को जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य में अवस्थापना एवं सेवा परियोजनाओं के लिए सामग्री, निर्माण कार्य, सेवाओं की अधिप्राप्ति और लोक निजी सहभागिता की व्यवस्था के लिए उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली, 2017 लागू की गई थी. भारत सरकार की ओर से भी अपने अधीनस्थ कार्यालय, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से पोषित योजनाओं में सामग्री, निर्माण, सेवाओं और कन्सल्टेन्ट के प्रोक्योरमेंट को लेकर समय-समय पर ‘सामान्य वित्तीय नियम-2017’ में संशोधन किये गए हैं.
धामी मंत्रिमंडल ने लिये ये बड़ा फैसला: इसके चलते उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और व्यावहारिक पहलुओं को देखते हुए उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली, 2017 में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है. ताकि प्रोक्योरमेंट के स्ट्रक्चर को मजबूत करने के साथ ही पादर्शिता लाई जा सके. इसके तहत उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति (प्रोक्योरमेंट) नियमावली, 2024 को प्रख्यापित (Promulgated) करने का निर्णय लिया है. ऐसे में 28 मई को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड अधिप्राप्ति (प्रोक्योरमेंट) नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है.
लोकल ठेकेदारों को अब 10 करोड़ तक के ठेके मिलेंगे: प्रोक्योरमेंट नियमावली में संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद, तमाम विभागों में 10 करोड़ रुपए तक की लागत के काम स्थानीय ठेकेदारों या स्थानीय पंजीकृत फर्मों के जरिए ही कराए जाएंगे. अभी तक स्थानीय ठेकेदारों के लिए यह सीमा 5 करोड़ रुपए थी. इसके साथ ही राज्य के विभागों में तमाम श्रेणियों में रजिस्टर्ड ठेकेदारों के लिए काम की सीमा को भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.
एनजीओ और एमएसएमई को भी प्रोत्साहन: उत्तराखंड के वित्त सचिव दिलीप जावलकर के बताया कि-कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि स्वयं सहायता समूहों और एमएसएमई को प्रोत्साहित करने के साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूह और एमएसएमई को खरीदारी में प्राथमिकता संबंधित नीति को मंजूरी दे दी है. अभी तक स्वयं सहायता समूह के लिए इस तरह का कोई विशेष प्रावधान नहीं था. स्थानीय स्तर पर स्वयं सहायता समूह को पांच लाख रुपए तक के काम दिए जा सकते थे. ऐसे में क्रय वरीयता की नीति लागू होने से राज्य के सरकारी विभागों की निविदा प्रक्रिया में स्वयं सहायता समूहों और एमएसएमई को न्यूनतम दर की निविदा से 10 प्रतिशत की सीमा तक खरीद की वरीयता मिलेगी. -दिलीप जावलकर, वित्त सचिव, उत्तराखंड-
ऑनलाइन टेंडर के साथ ईबीजी की सुविधा: दिलीप जावलकर ने कहा कि किसी भी टेंडर के दौरान टेंडर में भाग लेने वाले लोगों को अर्जेंट मनी ऑफिस में जाकर जमा करनी होती थी. इस व्यवस्था को अब सरकार ने समाप्त करने का निर्णय लिया है. अब ऑनलाइन टेंडर भरने के साथ ही ईबीजी (इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी) लिए जाने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा, कैबिनेट ने प्रोक्योरमेंटी से संबंधित शिकायतों का निस्तारण करने के लिए आईएफएमएस पोर्टल पर ग्रीवांस रिड्रेसल यूटिलिटी को भी संचाालित किए जाने पर सहमति जाता दी है.
सीएम बोले- समग्र विकास के साथ सुधारेंगे आम आदमी का जीवन: वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि- राज्य के समग्र विकास और आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार लाने की दिशा में राज्य सरकार के प्रयास लगातार जारी हैं. स्थानीय उत्पादों और उद्यमों को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं और स्थानीय लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए सरकार काम कर रही है. जिसके तहत, उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमों में संशोधन कर तमाम विभागों में अब 10 करोड़ तक के काम स्थानीय ठेकेदारों को दिए जाएंगे. इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों, एमएसएमई और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये क्रय वरीयता प्रदान करने की व्यवस्था की गई है.
-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड-