- अपने निवास के पते पर पुत्र के नाम दर्ज फर्म से किनारा कर रहे हैं उपेंद्र चौधरी
- चुनाव से पहले मुद्दा गरम हुआ तो मीडिया को ही कहने लगे धिक्कार है
एफएनएन, रुद्रपुर : धिक्कार है नेता जी ! आप जिस सोसाइटी में रहते हैं, उस सोसाइटी में आपके ही एड्रेस पर आपके पुत्र के नाम फर्म रजिस्टर्ड है, बावजूद आप दावा करते हैं कि न मेरी कोई फर्म है और न ही कभी नगर निगम में काम किया और न ही यह फर्म ब्लैकलिस्टेड हुई। आखिर यह सफेद झूठ नहीं तो और क्या ? यहां तक की प्रमुख मीडिया संस्थानों में आपकी ही फर्म फर्जीवाड़े में सुर्खियां बनी, फिर भी आपका शुद्ध 24 कैरेट का झूठ तारीफ-ए-काबिल है।
बात कर रहे हैं ओबीसी सीट पर रुद्रपुर नगर निगम से मेयर पद के लिए दावेदारी कर रहे उपेंद्र चौधरी की। उपेंद्र ओमेक्स रिवेरा सोसाइटी के लैमडा 33 बिला में निवास करते हैं, हालांकि अब उनका पता बदल गया है। कांग्रेस सरकार में यशपाल आर्य के मंत्री रहते ऊधमसिंह नगर में उनकी खनन में सक्रियता किसी से छुपी नहीं है। वह नेता कम, ख़नन कारोबारी ज्यादा थे। अब उनकी यशपाल आर्य से अदावत भी जगजाहिर है। कारणों में हम नहीं जाएंगे लेकिन कुछ तो ऐसा है जिसको लेकर उपेंद्र से दूरी बनाने में ही यशपाल आर्य ने भलाई समझी।
खनन कारोबारी नेताजी उपेंद्र चौधरी इन दोनों भाजपा में हैं। कारोबार अब लगभग समाप्त हो चुका है तो नेताजी की चाहत मेयर बनने की है। इसीलिए एक कैबिनेट मंत्री से जुड़ने का भी उन्होंने प्रयास किया लेकिन मंत्री जी ने कोई तवज्जो नहीं दी तो उपेंद्र को वापस लौटना पड़ा। अब कुछ नेताओं की शरण में है लेकिन बात बन नहीं रही। वजह बन रही है एक ब्लैक लिस्ट कंपनी ‘ मै. उत्कर्ष इंफ्रा हाइट्स ‘, जिस पर नेताजी का दावा है कि वह उनकी है ही नहीं…तो आज हम आपको इस कंपनी की सत्यता बताते हैं। दरअसल यह ब्लैकलिस्टेड कंपनी उपेंद्र चौधरी के दिवंगत बेटे उत्कर्ष के नाम पर रजिस्टर्ड है।
कंपनी में दर्शाया गया पता लैमडा 33 ओमेक्स रिवेरा रुद्रपुर, उपेंद्र चौधरी का निवास स्थान है। नगर निगम में कंपनी का रजिस्ट्रेशन उनके बड़े भाई मनोज कुमार के नाम पर है। इस कंपनी के लिए सारा काम उपेंद्र चौधरी ही करते थे। नगर निगम से बाजार क्षेत्र में फुटपाथ और नाला बनाने का ठेका भी उन्हीं ने लिया था तो अब बताइए उपेंद्र जी यह कंपनी आपकी कैसे नहीं है ? मीडिया में आपके दावे को लेकर शहर वाले खुद आप पर उंगली उठा रहे हैं। आपका दावा है कि आपने कभी नगर निगम का काम ही नहीं किया जबकि सभी आपको नेता के रूप में कम ठेकेदार के रूप में ज्यादा पहचानते हैं। अब मीडिया को धिक्कार नहीं, आपको धिक्कार है कि आप सफेद झूठ बोल रहे हैं और अपनी बात को 24 कैरेट का साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।
यह हो गई एक बात, अब बात करते हैं आपकी फर्म की कैटिगरी को लेकर। सी श्रेणी में दर्ज अपनी फर्म को आपने कैसे ओवरराइटिंग कर ए में दर्शाया, यह भी किसी से छुपा नहीं है। इसको लेकर सूचना अधिकार में भी खुलासा हो चुका है और आपका यह कृत्य मीडिया में सुर्खियां भी बन चुका है। यह बात दीगर है कि भाजपा सरकार होने के कारण आप पर विधिक कार्रवाई नहीं हुई। सिर्फ ब्लैकलिस्टेड करके ही आपकी फर्म को छोड़ दिया गया। और हां आपके द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र में की गई गड़बड़ी पर भी संज्ञान नहीं लिया गया, क्योंकि आप अपने राजनीतिक पद का दुरुपयोग करते रहे।
एडवोकेट कांता प्रसाद सागर की ओर से इस संबंध में अधिकारियों को समय-समय पर अवगत भी कराया गया। बताया गया कि किस तरह आपकी फर्म को नियमों के विपरीत ए श्रेणी के कार्य दिए गए। खैर, जब बात निकली है तो दूर तक तो जानी ही थी, आपकी फर्म को आपके करीबी और बिरादरी के अफसरो को ब्लैकलिस्ट करना पड़ा। क्रमशः