WHO को लगातार दूसरे साल घोषित करनी पड़ी है Health Emergency
पिछले साल से 160 फीसदी ज्यादा घातक है यह खतरनाक वायरस, 17 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित
एफएनएन वर्ल्ड डेस्क, वाशिंगटन। वैश्विक महामारी कोरोना के बाद अब एक और जानलेवा महामारी MPox (पहले MonkeyPox) ने दुनिया पर अटैक कर दिया है। कांगो से शुरू होकर 13 अफ्रीकी देशों समेत 116 देशों में भी यह भयंकर महामारी रौद्र रूप ले चुकी है। हजारों लोग लगातार तीसरे साल भी इस महामारी की चपेट में हैं। वर्ष 2024 में अब तक 517 से अधिक लोगों की मौतें भी भी हो चुकी हैं।
एमपॉक्स का असर पिछले साल की तुलना में इस बार 160 फीसदी ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लगातार तीसरे साल एमपॉक्स को लेकर Global Health Emergency भी घोषित कर दी है। यह घोषणा अफ्रीकी देश कांगो में महामारी के भयानक संक्रमण के बाद की गई।
जानलेवा एमपॉक्स वायरस 13 अफ्रीकी देशों और यूरोप, अमेरिकी समेत दुनिया भर के 116 देशों में महामारी का रूप ले चुका है। भारत में पहला रोगी वर्ष 2022 में केरल में मिला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी माना है कि पिछले साल की तुलना में इस बीमारी का संक्रमण 160 फीसदी ज्यादा है। अफ्रीकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के मुताबिक, इस साल अभी तक इसके 17000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और कम से कम 571 लोगों की मौतें भी हो चुकी है।
मंकीपॉक्स का नया वैरिएंट बेहद घातक
एमपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के निकट जाने से फैलती है। इसमें फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे- बुखार आना, उल्टी इत्यादि। साथ ही रोगी के शरीर में फोड़े निकलते हैं और मवाद भी पड़ जाता है। यह बेहद पीड़ादायक है। कांगो में एमपॉक्स का प्रकोप एक स्थानिक स्ट्रेन के प्रसार से शुरू हुआ, जिसे क्लेड I के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस बार नया वैरिएंट क्लेड Ib तबाही मचा रहा है। इस बीमारी के फैलने का एक प्रमुख कारण संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाना भी है।
जनवरी 2022 में, यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने टेकोविरिमैट को, जो मूल रूप से चेचक के इलाज के लिए विकसित एक एंटीवायरल वैक्सीन है, असाधारण परिस्थितियों में एमपॉक्स के उपचार के लिए मंजूरी दे दी।
लक्षण
चेचक के लिए विकसित तीन टीकों, एमवीए-बीएन, एलसी16, और ऑर्थोपॉक्सवैक को एमपॉक्स की रोकथाम के लिए अनुमोदित किया गया है। हालांकि, टीकाकरण की सिफारिश केवल जोखिम वाले रोगियों के लिए की जाती है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन एमपॉक्स के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण का समर्थन नहीं करता है।
क्यों घोषित करनी पड़ी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी?
आमतौर पर किसी भी रोग के प्रकोप के एक देश से दूसरे देशों में फैलने की रफ्तार को देखकर ही विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने का निर्णय लेता है। मंकीपॉक्स कांगो से शुरू होकर बुरुंडी, केन्या, रवांडा, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा समेत 13 देशों में दस्तक दे चुका है। लिहाजा WHO को हेल्थ इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मक़सद संक्रमित स्थानों पर अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य उपायों में तेजी लाना है।
मंकीपॉक्स: पहली हेल्थ इमरेंसी?
इससे पहले साल 2022 में मंकीपॉक्स वायरस के क्लेड IIb वैरिएंट ने तबाही मचाई थी। इसके प्रसार की मुख्य वजह पुरुषों का पुरुषों से यौन संबंध बनाना रही। तब WHO को 10 महीने के लिए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी लागू करनी पड़ी थी।