एफएनएन विदेश ब्यूरो, ढाका-बांग्लादेश। पड़ोसी बांग्लादेश में शनिवार तड़के इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के दो मंदिरों को अराजक तत्वों ने तोड़ डाला और उनमें आग भी लगा दी। हमला शनिवार तड़के इस्कॉन नमहट्टा मंदिरों पर हुआ है।
आगजनी में जलीं देवी-देवताओं की मूर्तियां
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर यह दुखद जानकारी साझा की। उन्होंने आरोप लगाया कि पड़ोसी बांग्लादेश के ढाका जिले के तुराग थाना क्षेत्र के धौर गांव में इस्कॉन के नमहट्टा केंद्र में स्थित श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर और श्री श्री महाभाग्य लक्ष्मी नारायण मंदिर को शनिवार तड़के सुबह दो से तीन बजे के बीच अराजक तत्वों ने आग के हवाले कर दिया। ये मंदिर हरि कृष्णा नमहट्टा संघ के अंतर्गत आते हैं। आग में मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित श्री श्री लक्ष्मी नारायण और कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां और उनके बेशकीमती वस्त्र-आभूषण तथा पूजन का अन्य बहुत सा कीमती सामान भी पूरी तरह जल गया।
पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि आग मंदिर के पीछे लगी टिन की छत को उठाकर पेट्रोल या ऑक्टेन का इस्तेमाल करके लगाई गई। उन्होंने दावा किया कि हमले जारी हैं और इस्कॉन द्वारा बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का ध्यान इस ओर खींचने के बावजूद पुलिस-प्रशासन द्वारा उनकी शिकायतों और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है।
भाजपा ने भी की निंदा
पिछले चार महीनों से बांग्लादेश के विभिन्न स्थानों पर इस्कॉन के मंदिरों पर हमलों पर पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश के ढाका में इस्कॉन नमहट्टा केंद्र पर लगाई भयानक आगजनी की कड़ी निंदा करता हूं, जिसने लक्ष्मी नारायण की मूर्ति और पवित्र मंदिर की वस्तुओं को नष्ट कर दिया। यह पूजा स्थल के खिलाफ घृणा का एक अक्षम्य कार्य है। दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।’
चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद से बवाल
गौरतलब है कि 26 नवंबर को हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनके समर्थकों ने जेल ले जा रहे जेल वैन को रोक दिया था। इस घटना के दौरान एक सरकारी वकील की मौत हो गई थी। दास को देशद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। बाद में एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिससे राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित विभिन्न स्थानों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
अन्य घटनाक्रमों में बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में अदालत परिसर में अफरातफरी नजर आई, जबकि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के कई नेताओं और करीबी सहयोगियों पर पुलिस सुरक्षा के बावजूद अदालत में पेशी के दौरान भीड़ ने हमला किया।