एफएनएन, नई दिल्ली: ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान को लेकर उपजे विवाद के बीच, प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने बरेली में मौलाना तौकीर रज़ा खान और अन्य की गिरफ्तारी की रविवार को निंदा की और राजनीतिक मकसद के लिए सरकारी मशीनरी के “दुरुपयोग” का आरोप लगाया। संगठन ने यह भी दावा किया कि कानून व्यवस्था की चुनौतियों को “सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” के अवसरों में बदला जा रहा है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने बरेली में मौलाना खान और अन्य की “अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी” की कड़ी निंदा की।
एक बयान में हुसैनी ने कहा, “बरेली में मौलाना तौकीर रज़ा खान सहित कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी गंभीर चिंता का विषय है और यह दर्शाता है कि सांप्रदायिक राजनीति और घृणा से प्रेरित शासन हमारे देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं।” जमात प्रमुख ने कहा कि जो बात श्रद्धा की अभिव्यक्ति “आई लव मुहम्मद” के नारे से शुरू हुई थी, उसे निंदनीय तरीके से लोक व्यवस्था के लिए खतरा बताया जाने लगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिकियों और व्यापक सामूहिक गिरफ्तारियों के माध्यम से आस्था की शांतिपूर्ण अभिपुष्टि को आपराधिक बनाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह भारत के सभ्यतागत लोकाचार पर एक अपमानजनक हमला है। उन्होंने कहा कि सदियों से भारत के लोग एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए मिल-जुलकर रहते आए हैं। हुसैनी ने कहा, “यह अकल्पनीय है कि भक्ति की ऐसी अभिव्यक्ति समाज को ध्रुवीकृत कर सकती है, बल्कि, यह राजनीतिक शरारत है जिसने इस संकट को जन्म दिया है।“
उन्होंने कहा कि रिपोर्टों से पता चलता है कि मौलाना खान को शुरू में नजरबंद कर किया गया था, और उसके बाद, भारतीय न्याय संहिता के सबसे कठोर प्रावधानों के तहत बिना उचित जांच के सैकड़ों मुसलमानों के साथ उनपर प्राथमिकियां दर्ज की गईं। मुस्लिम नेता ने कहा, “इससे भी ज़्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि कुछ राजनीतिक नेताओं ने मौलाना तौकीर रज़ा जैसे प्रतिष्ठित विद्वान के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है जो इस पूरे प्रकरण के पीछे की घिनौनी राजनीति को उजागर करता है। सरकार की शक्ति का ऐसा असंगत इस्तेमाल न सिर्फ़ क़ानून के शासन को कमज़ोर करता है, बल्कि अलगाव और अविश्वास को भी गहरा करता है।“
हुसैनी ने कहा कि एक समूह के खिलाफ चयनात्मक और कठोर कार्रवाई करना संविधान की भावना और निष्पक्ष शासन के सिद्धांतों, दोनों का उल्लंघन है। जमात के अध्यक्ष ने कहा, “आज जो प्रदर्शित हो रहा है, वह सरकारी मशीनरी और कानून प्रवर्तन का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग है। यह कानून-व्यवस्था की चुनौतियों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अवसरों में बदल रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया, “ हर बार जब चुनाव नज़दीक आते हैं, यही चीजें दोहराई जाती हैं। समुदायों को विभाजित किया जाता है, अविश्वास पैदा किया जाता है, और संकीर्ण लाभों के लिए राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार किया जाता है। यह एक खतरनाक रास्ता है जो लोकतांत्रिक संस्थाओं और संवैधानिक मूल्यों को नष्ट कर रहा है।“
हुसैनी ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे दृढ़, शांतिपूर्ण रहें और पैगंबर मुहम्मद के धैर्य, दया और करुणा के संदेशों का पालन करें। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह अतिश्योक्तिपूर्ण आरोपों को तुरंत वापस ले, गलत तरीके से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करे और शासन में समानता, और न्याय बहाल करे। हुसैनी ने कहा, “भारत की ताकत उसके संविधान, उसकी बहुलतावाद और आपसी सम्मान के सामाजिक ताने-बाने में निहित है। अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए इन बुनियादों को कमजोर करने से न केवल एक समुदाय, बल्कि पूरे राष्ट्र को नुकसान पहुंचता है।’’

