एफएनएन, प्रयागराज : देवाधिदेव महादेव भगवान शिव-माता पार्वती का स्तुति पर्व महाशिवरात्रि आठ मार्च को पड़ेगा। इस स्नान पर्व के साथ मेले का समापन हो जाएगा। महाशिवरात्रि पर शिव योग पड़ने से पर्व का महत्व बढ़ गया है। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, महाशिवरात्रि सात मार्च की रात 9.50 बजे लगकर आठ मार्च की शाम 7.42 बजे तक रहेगी। श्रवण नक्षत्र सुबह 8.03 बजे तक रहेगा। इसके बाद घनिष्ठा नक्षत्र लगेगा।
मीन राशि में बुध व राहु, कुंभ राशि में शुक्र व शनि संचरण करेंगे। सबसे अहम शिव योग का पड़ना है। ग्रह-नक्षत्रों के मिलन अत्यंत कल्याणकारी संयोग बना रहा है। पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि महाशिवरात्रि की पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। शिव को कुंद, केतकी और कैंथ के फूल न चढ़ाएं।
श्रीधरानंद श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी के अनुसार, महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को समझने का अवसर है। शिव-लिंग परमात्मा शिव के ज्योति स्वरूप को दर्शाता है। भगवान शिव का कोई मनुष्य स्वरूप नहीं है। शिव एक सूक्ष्म, पवित्र व स्वदीप्तिमान दिव्य ज्योति पुंज हैं। इस ज्योति को अंडाकार रूप से दर्शाया गया है। इसलिए उन्हें ज्योर्तिलिंग अर्थात ‘ज्योति का प्रकार’ के रूप में दर्शाया गया है।
आत्मा और शिव में कोई अंतर नहीं
शिव सत्य हैं, कल्याणकारी हैं और सबसे सुंदर आत्मा हैं। इसी कारण उन्हें सत्यम-शिवम्-सुंदरम कहा जाता है। भगवान शिव हर जगह व्याप्त हैं। हमारी आत्मा और शिव में कोई अंतर नहीं है। शिव सत्य, सौंदर्य और अनंतता के प्रतीक हैं। महाशिवरात्रि पर मनकामेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं को शिव के विभिन्न स्वरूपों को आत्मसात कराया जाएगा।
शिवतत्व का उत्सव मनाने का पर्व
डा. बिपिन विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष डा. बिपिन पांडेय के अनुसार महाशिवरात्रि शिव तत्व का उत्सव मनाने का दिन है। शिव तत्व यानी वह सिद्धांत अथवा सत्य जो हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है।
महाशिवरात्रि का क्या है अर्थ
महाशिवरात्रि की साधना, शरीर, मन और अहंकार के लिए गहन विश्राम का समय है, जो भक्त को परम ज्ञान के प्रति जागृत करता है। रात्रि का अर्थ है- रात या विश्राम करने का समय है। महाशिवरात्रि के समय हम अपनी चेतना में विश्राम करते हैं। महाशिवरात्रि अपनी अंतरात्मा और चेतना के साथ उत्सव मानाने का पर्व है। इस दिन साधना के माध्यम से हम दिव्य चेतना की शरण में चले जाते हैं।