एफएनएन,ज्ञानवापी: 4 जनवरी 1993 को तत्कालीन डीएम ने तीन कमरों को करवा दिया था बंद।1993 से पहले तक यहां रोजाना व्यास जी आते-जाते थे। उनका एक कमरा भी इस परिसर में होने का दावा किया जाता है। हालांकि यह मामला न्यायालय में लंबित है। महंत परिवार से जुड़े लोगों का दावा है कि चार जनवरी 1993 को तत्कालीन डीएम सौरभ चंद्र ने नीचे के तीनों कमरों पर ताले लगवा दिए थे। इसके बाद इसकी चाबी को लेकर भी तमाम बातें होती थीं। अदालत के आदेश पर 29 साल चार महीने 10 दिन बाद ज्ञानवापी परिसर में बंद कमरों के ताले सर्वे की कार्यवाही के लिए शिनवार को खोले गए। चार जनवरी 1993 को तत्कालीन डीएम ने तीन कमरों को बंद करवा दिया था, तब के बाद इन्हें कभी खोले जाने की पुष्टि नहीं है।ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेडिंग के अंदर तीन कमरों में भी ताले लगे हुए हैं। 1993 से पहले तक यहां रोजाना व्यास जी आते-जाते थे। उनका एक कमरा भी इस परिसर में होने का दावा किया जाता है। हालांकि यह मामला न्यायालय में लंबित है। महंत परिवार से जुड़े लोगों का दावा है कि चार जनवरी 1993 को तत्कालीन डीएम सौरभ चंद्र ने नीचे के तीनों कमरों पर ताले लगवा दिए थे। इसके बाद इसकी चाबी को लेकर भी तमाम बातें होती थीं।
इन कमरों में बंद ताले की चाबी को लेकर भी दावा किया जाता था कि इसकी एक चाबी प्रशासन के पास और दूसरी चाबी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। मगर, अदालत के आदेश के बाद जिलाधिकारी की ओर जारी नोटिस पर कमेटी ने चाबी होने की बात स्वीकार की और प्रशासन के सहयोग का आश्वासन दिया है। ऐसे में अब करीब 30 साल से बंद कमरों के खुलने के बाद यहां रोशनी और सफाई के बाद ही पड़ताल की जा सकेगी। तीन दिन तक चलने वाली कमीशन की कार्यवाही में बंद तालों के अंदर की सच्चाई सामने आएगी।
चाबी हमारे पास, आज सबके सामने खोलेंगे ताले
वर्ष 1993 में लोहे की बैरिकेडिंग के दौरान दुकानें खाली कराई गई थीं और उसी समय ये ताले भी लगे थे। वहां कोई तहखाना नहीं है। तीनों दुकानों के दरवाजों पर ताले हैं। 1993 से पहले यहां चाय, चूड़ी और कोयले की दुकानें थीं। इन बंद तालों की चाबी हमारे पास है और शनिवार को कमीशन की कार्रवाई में सहयोग करते हुए सबके सामने ताले खोलेंगे। हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है और उसके आदेश का हम अक्षरश: पालन कराएंगे।
अब किसी मस्जिद पर हमला हुआ तो खामोश नहीं बैठेंगे मुसलमान
बरेली में तंजीम उलमा इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, हमने बाबरी मस्जिद को शहीद होते देखा लेकिन मुल्क में अमन बनाए रखने के लिए खामोश रहे। अब ज्ञानवापी हो या मथुरा की ईदगाह मस्जिद, किसी भी मस्जिद को बाबरी बनाने की कोशिश की गई तो मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा।’