केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने श्वेत श्रेणी के उद्योगों की स्थापना की प्रक्रिया को बनाया आसान
एफएनएन ब्यूरो, नई दिल्ली। कम और गैर-प्रदूषणकारी यानी श्वेत श्रेणी के उद्योगों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत देते हुए प्रदान केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की मंजूरी से छूट देने का फैसला किया है। होगी। श्वेत श्रेणी के उद्योग वे माने जाते हैं जो शून्य या बहुत कम प्रदूषण फैलाते हैं।
उद्योगों को स्थापना की सहमति (सीटीई) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संचालन की मंजूरी (सीटीओ) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेनी होती है। नए नियमों के तहत, श्वेत श्रेणी के अंतर्गत आने वाले उद्योगों को राज्य प्रदूषण बोर्ड से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। इन अनुमतियों को पर्यावरण मंत्रालय की ओर से दी गई पर्यावरण मंजूरी के साथ मिला दिया गया है।
केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 12 नवंबर को जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि प्रदूषण सूचकांक पर 20 तक स्कोर करने वाले औद्योगिक संयंत्र अब वायु (रोकथाम और नियंत्रण) की धारा 21 की उप-धारा (1) के तहत प्रावधानों के अधीन नहीं होंगे। हालांकि उन्हें (प्रदूषण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों या प्रदूषण नियंत्रण समितियों को लिखित रूप में सूचित करना होगा।
नए नियमों के तहत ऐसे औद्योगिक संयंत्रों को मंजूरी से छूट दी गई है जिनका प्रदूषण सूचकांक स्कोर 20 या उससे कम है और जो 2006 के पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के तहत पहले ही पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त कर चुके हैं। हालांकि, इन संयंत्र उद्योग अपने संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) या प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCC) को अपने संचालन के बारे में लिखित रूप में सूचित करना होगा।
इन उद्योगों को मिलेगी मंजूरी से छूट
श्वेत श्रेणी के उद्योगों में एयर कूलर, कंडीशनर की असेंबली, मरम्मत और सर्विसिंग, साइकिल, बेबी कैरिज और अन्य छोटे गैर मोटर चालित वाहनों की असेंबली, बेकार कागजों की बैलिंग (हाइड्रोलिक प्रेस), अकार्बनिक रसायनों का उपयोग किए बिना जैव उर्वरक और जैव-कीटनाशक और स्वचालित वैक्यूम मशीनों के जरिए रोल्ड पीवीसी शीट से बिस्कुट ट्रे निर्माण इकाइयां आती हैं।