Monday, June 9, 2025
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कानपुर: श्रम विभाग का मददगार ही निकला 1.25 करोड़ के फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड, पुलिस ने किया खुलासा

एफएनएन, कानपुर:  कन्या विवाह सहायता योजना में करोड़ों के फर्जीवाड़े की जांच कर रही साइबर सेल ने प्रेमी जोड़े व श्रम विभाग के एक आउटसोर्स कर्मी (सहायक लेखाकार) समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया है। पुलिस का दावा है कि मास्टरमाइंड ने वेब पोर्टल की कमियों को ही अपना हथियार बनाकर सहायक लेखाकार, प्रेमिका व अन्य साथियों की मदद से रकम फर्जी लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की और फिर अपने खाते में लेकर आपस में बांट ली। सचेंडी निवासी मुख्य आरोपी उदित मिश्रा की विभाग प्रोग्रामिंग से लेकर अन्य दिक्कतों को दूर करने में मदद भी लेता था।

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बुधवार को पुलिस कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड उदित मिश्रा सजेती में जन सेवा केंद्र चलाता था। इसके साथ ही वह नैतिक हैकर (एथिकल हैकर) के तौर पर सरकारी व निजी वेबसाइटों व पोर्टल में कमियां बताकर पैसे कमाता था। इसी वजह से उसका श्रम विभाग के अधिकारियों से संपर्क हो गया।
उसकी काबिलियत देख लखनऊ के अधिकारियों ने उसे पोर्टल की प्रोग्रामिंग से लेकर अन्य दिक्कतों को दूर करने के लिए बुलाना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से उसकी विभाग में अच्छी पैठ हो गई। वहीं, शिक्षा विभाग के ट्रेजरी अफसर जिनके पास श्रम विभाग के ट्रेजरी अफसर का भी अतिरिक्त चार्ज था, के सहायक लेखाकार सीतापुर के मूल निवासी विनय दीक्षित से उदित ने संपर्क किया।
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उसकी मदद से उदित ने ट्रेजरी अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर को हासिल कर लिया। इसके साथ ही पोर्टल की कमियों का फायदा उठाते हुए बिना किसी आवेदक के सत्यापन की पूरी प्रक्रिया को बाईपास कर 1.10 करोड़ रुपये 201 अपात्र श्रमिकों के फर्जी पंजीकरण कर व कन्या विवाह योजना का आवेदन कर ट्रांसफर कर दिए।

टेस्टिंग के लिए 17 जनवरी को किया 15 लाख का फ्रॉड

गैंग के मुखिया उदित ने कमियां पता लगने के बाद टेस्ट करने के लिए 17 जनवरी को करीब एक दर्जन अपात्र लोगों के आवेदन कर 15 लाख रुपये निकाले। खास बात यह है कि इस बात की भनक श्रम विभाग को 1.10 करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद भी नहीं लगी थी। हालांकि जांच टीम ने जब उदित और उसके भाई अंकित मिश्रा के बैंक खातों को खंगाला तो इसकी पुष्टि हुई। ट्रायल के दौरान निकाले गए 15 लाख रुपये को ट्रांसफर करने के लिए किराये के बैंक खाते विनय दीक्षित ने मुहैया कराए थे।

मुरादाबाद, अमरोहा, सीतापुर और कानपुर से कराए गए थे अपात्रों के आवेदन

उदित ने प्रेमिका नैंसी ठाकुर व भाई अंकित के साथ बड़ी रकम को हड़पने के लिए जन सेवा केंद्र के नेटवर्क को हथियार बनाया। इसके जरिये उसने ऐसे लोगों की तलाश की जो उसे लोगों के आधार कार्ड या बैंक अकाउंट उपलब्ध करा सकें। इस दौरान उसका संपर्क मुरादाबाद के मोहम्मद यासीन, ललित कश्यप के अलावा अमरोहा व सीतापुर के मुनाजिर, अरजान, मस्तान समेत कई अन्य लोगों से हुआ और उनके मुहैया कराए बैंक व पेमेंट्स बैंक खातों में रकम डालकर उदित ने भाई अंकित के खाते में रकम वापस जमा करा ली।

सरकार से सम्मानित हो चुका है उदित

जांच में पता चला है कि उदित ने श्रमिक कल्याण सेवा समिति भी बनाई थी, जिसके जरिये उसने श्रम विभाग में बड़ी संख्या में लोगों के लेबर कार्ड बनवाए और चौथी रैंक पर रहे कानपुर को वह श्रम विभाग की योजनाओं का दो बार देश में टॉप पर लेकर आया। इसके लिए उसे राज्य व केंद्र सरकार ने भी सम्मानित किया। हाल में उसे श्रम विभाग की वेबसाइट की प्रोग्रामिंग व कमियां (बग) ढूंढने के लिए लखनऊ तक बुलाया जाने लगा। इसके बाद वह डेढ़ साल पहले लखनऊ शिफ्ट हुआ था, जहां वह पारा थानाक्षेत्र में रह रहा था।

कोविडकाल में ऑनलाइन सीखा था साइबर अपराध का तरीका

उदित ने बताया कि उसने बीएससी की पढ़ाई की थी, लेकिन कोविड काल में उसने ऑनलाइन कोर्स कर एथिकल हैकिंग व वेबसाइट मेंटनेंस का काम सीखा। इसी दौरान उसने कई हैकाथॉन में भी भाग लिया, जिसमें देशभर के हैकरों के बीच वेबसाइटों में कमियां ढूंढने में वह चर्चित रहा और कई हैकरों ने उससे संपर्क भी किया।
आरोपी का दावा, भाई ने लखनऊ में मुनाजिर के हाथ में दिए पैसे
मास्टर माइंड उदित ने दावा किया है कि जो रकम उसने श्रम विभाग के कर्मियों की मदद से निकालकर भाई के बैंक खाते में पहुंचाई, उसमें से 20 प्रतिशत अपने पास रखते हुए बाकी रकम लखनऊ के कृष्णानगर में मोहिनी ज्वेलर्स के पास स्थित एक नाई की दुकान में श्रम विभाग के एक मुनाजिर को दी थी। उसका यह भी दावा है कि पोर्टल में बग की जानकारी सभी को थी लेकिन किसी ने भी उसे दूर नहीं किया।

एक वरिष्ठ आईएएस के जरिये हुई थी एंट्री

पूछताछ में पता चला है कि उदित की श्रम विभाग में एंट्री एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के इशारे पर हुई थी। अधिकारी उसके श्रमिक कार्ड बनाने व उसकी तकनीकी समझ से खासे प्रभावित थे इसलिए उन्होंने छोटी बड़ी परेशानी दूर करने के लिए उदित को पोर्टल की प्रोग्रामिंग देखने के लिए बुलाना शुरू किया था।
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