
एफएनएन ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के वैज्ञानिकों ने श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शुक्रवार सुबह 9.17 बजे प्रक्षेपण वाहन एसएसएलवी- D3 के जरिए बहु उपयोगी पृथ्वी निगरानी उपग्रह EOS-08 और दूसरे उपग्रह को पृथ्वी से 475 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष की निर्धारित गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है।

लगभग 175.5 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही विनाशकारी दैवीय आपदाओं और ज्वालामुखी गतिविधियों की सटीक जानकारी पहले से ही देने में सक्षम है।इस उपग्रह में अटैच्ड अत्याधुनिक जीएनएसएस-आर पेलोड के जरिए महासागर की सतह की हवा का विश्लेषण करने, मिट्टी की नमी का आकलन करने और बाढ़ का पता लगाने में भी सहायता मिल सकेगी। इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि प्रक्षेपण वाहन (राॆकेट) एसएसएलवी-डी3 से इस उपग्रह को प्रक्षेपित करने से पहले की प्रक्रिया (काउंटडाउन) गुरु-शुक्रवार की रात तीसरे पहर 02: 47 बजे से ही शुरू कर दी गई थी।

दिन-रात भेज सकेगा पृथ्वी की बहुत काम की तस्वीरें
आईओआईआर पेलोड को तस्वीरें खींचने के लिए तैयार किया गया है। यह पेलोड मध्यम-वेव आईआर (एमआईआर) और दीर्घ-वेव-आईआर (एनडब्ल्यूआईआर) बैंड में दिन और रात में भी बेहतरीन तस्वीरें खींच सकेगा। इसका इस्तेमाल उपग्रह आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग लगने का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन तथा औद्योगिक एवं विद्युत संयंत्र आपदा निगरानी जैसे कार्यों के लिए किया जा सकेगा।
एक वर्ष का है ईओएस-08 मिशन
ईओएस-08 के इस अनुसंधान मिशन का कार्यकाल एक वर्ष तय किया गया है। इसमें सौर सेल निर्माण प्रक्रियाएं और माइक्रोसैट अनुप्रयोगों के लिए एक नैनो स्टार-सेंसर समेत स्वदेश में ही विकसित कई घटक भी शामिल हैं।
SSLV को मिल सकेगा ऑपरेशन रॉकेट का दर्जा
EOS-08 की सफल लॉन्चिंग के बाद प्रक्षेपण वाहन (SSLV-D3 को पूरी तरह से ऑपरेशन रॉकेट का दर्जा मिल जाएगा। SSLV-D1 के EOS-02 के पहले मिशन के तहत अगस्त 2022 में उपग्रहों को इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया गया था। एसएसएलवी की दूसरी विकासात्मक उड़ान 10 फरवरी, 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च की गई थी। एसएसएलवी रॉकेट की लागत PSLV रॉकेट से करीब छह गुना तक कम है।

