Monday, March 10, 2025
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संस्कारित शिशु चाहिए तो गर्भधारण के तीन माह पूर्व से ही अपनाएं संस्कारी जीवनशैली

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और परम पूज्या मां भगवती देवी शर्मा की पावन जयंती पर अखिल विश्व गायत्री परिवार बरेली के तत्वावधान में विशेष महिला सशक्तिकरण कार्यशाला

बरेली शहर और ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों समर्पित गायत्री परिजनों के साथ प्रशिक्षु चिकित्सकों की भी रही सक्रिय सहभागिता

वीडियो क्लिप के जरिए समझाई गई गर्भधारणकाल में सात्विक जीवन की महत्ता

ताइक्वांडो के ब्लैक, येलो, ग्रीन बेल्टधारी बच्चों ने दिखाए दुश्मन को छकाने और आत्मरक्षा के हैरतअंगेज करतब

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। अखिल विश्व गायत्री परिवार बरेली के तत्वावधान में परमपूज्या मां भगवतीदेवी शर्मा की पावन जयंती और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मिनी बाईपास रोड स्थित क्लब7 में महिला सशक्तिकरण और चेतनाशील मातृत्व कार्यशाला आयोजित की गई।

वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ/गायत्री परिवार की समर्पित कार्यकर्त्री और आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी की उ०प्र० की समन्वयक डॉक्टर संगीता सारस्वत ने गर्भ में ही बच्चों में संस्कार को वैज्ञानिक तरीके से समझाया। अपने अत्यधिक विचारोत्तेजक, प्रभावशाली और प्रेरणाप्रद व्याख्यान में सरल-रोचक शैली में गायत्री परिजनों को उन्होंने समझाया-अभिमन्यु की तरह ही आज के शिशु भ्रूण भी मां के गर्भ में ही संस्कार ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं। दुर्गुणों को मिटाकर अपने जीवन में चारित्रिक उन्नयन और सद्गुणों को ग्रहण करने की क्षमता विकसित करना ही देवत्व है। व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण का महान कार्य व्यक्तित्व निर्माण की क्षमता विकसित करके ही संभव है। अपने व्यकित्व, चरित्र और चेतना को परिमार्जित करने की कला का नाम ही संस्कार है।

चिकित्सा विज्ञान के गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन करते हुए सीनियर गायकोनॉलॉजिस्ट डॉ. संगीता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन W.H.O. की भी स्पष्ट मान्यता है कि शारीरिक ही नहीं, मानसिक, आध्यात्मिक और चेतना के स्तर पर स्वस्थ व्यक्ति ही वस्तुत: पूर्णत: निरोगी और स्वस्थ है।
उन्होंने बताया कि मां की भाव और वैचारिक शक्ति से ही गर्भस्थ भ्रूण के सूक्ष्म शरीर का पोषण, परिवर्धन और विकसन होता है। आज के बच्चे मानसिक, आध्यात्मिक और चेतना के स्तर पर बेहद ही कमजोर हैं। इसका मूल कारण यह है कि माता केवल शिशु की प्रथम पाठशाला ही नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास की आधारभूत संरचना बनाने वाली मुख्य अनुवांशिक वास्तु शिल्पी और अभियंता भी है। “Mother is the genetic engineer of the child.”

डॉ. संगीता ने याद दिलाया कि मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, बल्कि वही अपने भाग्य का निर्माता और नियंत्रणकर्ता है। वीडियो क्लिप्स दिखाते हुए उन्होंने साफ किया कि अगर चरित्रवान, देशभक्त, धार्मिक प्रवृत्ति का शिशु पाना चाहते हैं तो गर्भधारण के तीन माह पूर्व से पूरी गर्भावस्था तक माता-पिता को अपने संस्कारों, आचार-व्यवहार, आहार-स्वाध्याय को नियंत्रित-संतुलित रखकर सात्विक जीवनशैली अपनानी ही पड़ेगी।

महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करते हुए डॉ. संगीता सारस्वत ने सलाह दी कि गर्भाधान से तीन माह पहले से पूरी गर्भावस्था में Folic Acid Tablets नियमित रूप से लेना जरूरी है। गर्भकाल में धीमा संगीत, भजन, श्लोक सुनें-सुनाएं। नियमित रूप से धीमा मधुर संगीत सुनने से गर्भस्थ भ्रूण के Neurons विकसित होते हैं। नौवें माह में शिशु भ्रूण मातृ भाषा के अतिरिक्त नई भाषा भी सीख लेने में सक्षम हो जाता है। शिशु को दुग्धपान, भोजन कराते वक्त गायत्री मंत्र का संगीतमय गायन अत्यधिक फलदायी हो सकता है। यह सदी संस्कारवान महिलाओं की ही नहीं, भावनाशील पुरुषों की भी सदी है।

उन्होंने बताया कि भोजन और भजन यथासंभव पूरे परिवार के साथ ही करने की आदत डालें। ताजे-मौसमी फल, खासकर पत्तेदार सब्जियों से बना सात्विक भोजन लें। बर्गर, पिज्जा से बचें। ध्यान, जप, आसन, प्राणायाम आदि को सभी अपनी सकारात्मक जीवन शैली का अनिवार्य और अपरिहार्य हिस्सा अवश्य बनाएं। आधुनिक विकृत जीवन शैली से छुटकारा पाकर ही समस्त शारीरिक-मानसिक समस्याओं से मुक्ति संभव है।

इससे पूर्व शांतिकुंज हरिद्वार से आयी टोली नायक श्रीमती सुशीला अग्रिहोरे ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि 21वीं सदी नारी सदी है। इस सदी में मानवमात्र के उज्जवल भविष्य की गारंटी मिलने की घोषणा पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने सन 1920 में ही कर दी थी। गुरुदेव की भविष्यवाणी के अनुरूप ही आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। भारत की नारियां पूरे देश-विश्व के हर क्षेत्र में सफलता के परचम लहरा रही हैं। उन्होंने गायत्री परिवार के कार्यकर्ता भाई बहनों से आवाहन किया कि मां गायत्री की नियमित रूप से साधना अवश्य करें। हम सुधरेंगे युग सुधरेगा का संकल्प अपने जीवन में उतारेंगे तभी निश्चित तौर पर जो हमारे गुरुदेव का विचार क्रांति अभियान और युग परिवर्तन का संकल्प पूर्ण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश की नारियां सीता जी से प्रेरणा लें। उन्होंने वन में प्रवास करते हुए अभावों के बीच भी बच्चों को संस्कारवान और अपराजेय महायोद्धा बनाने का महान कार्य किया था।

श्रीमती सुशीला अग्निहोरे ने बताया कि विश्व भर में सभी लोग अपनी माताओं के संस्कारों से ही संस्कारित- संचालित और नियंत्रित होते हैं। उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा के साथ ही बेटों-बेटियों को संस्कारक्षम शिक्षा देना-दिलाना भी अनिवार्य है, तभी हमारी भावी पीढ़ियां संस्कारित बनकर आदर्श समाज और राष्ट्र का निर्माण कर पाएंगी। कहा-गायत्री परिवार के हम सब कार्यकर्ता परमपूज्य गुरुदेव और परम श्रद्धेया माताजी की परिवर्तनकारी युग निर्माण योजना के अजेय सैनिक हैं। अलग-अलग रहने के बजाय एकजुट होकर नियोजित रूप से प्रयास करें तो बड़े सुफल अवश्य मिलेंगे। ध्यान रखें कि गायत्री परिवार छोटा सा कार्यक्रम भी बिना सुदृढ़ पूर्व Slept बनाए नहीं किया जाय। हर कार्यक्रम विचार क्रांति की एक अमिट चिंगारी है। खंडवा की समर्पित कार्यकत्री पूर्णिमा बहन का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पूर्णिमा ने वंदनीया माताजी की जन्म शताब्दी 2026 तक सवा लाख कन्याओं को संस्कारित बनाने का महायज्ञ प्रारंभ किया है।

गायत्री परिवार के संस्थापक वेदमूर्ति आचार्य श्री श्रीराम शर्मा आचार्य की मानस पुत्री शांति कुंज की वरिष्ठ परिब्राजिका सरिता दीदी ने गायत्री परिवार के एकनिष्ठ-कर्मठ-समर्पित महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं से शांति कुंज आकर नौ दिन या एक माह का प्रशिक्षण लेने और अपने कार्यक्षेत्र में वापस लौटकर किशोरों और कन्याओं की कौशल संस्कारशालाएं और अलग-अलग प्रशिक्षण शिविर संचालित करने का भी भावपूर्ण आह्वान किया।

इस अवसर पर जिला ताइकवांडो संघ के अध्यक्ष और कोच अमर सिंह परमार के मार्गदर्शन में ताइक्वांडो के ब्लैक, येलो, ग्रीन बेल्ट धारक बच्चों की टोली ने आड़ी हथेली और पैरों के प्रहार से टाइल्स तोड़ने और निहत्था होने पर भी शारीरिक-मानसिक चुस्ती-फुर्ती से अचानक आए दुश्मन से आत्मरक्षा करते हुए उसे पस्त कर देने के हैरत अंगेज करतब भी दिखाए और खूब तालियां बटोरीं। कोच और सभी बच्चों को सम्मानित भी किया गया। अरबन कोआपरेटिव बैंक की चेयरपर्सन श्रुति गंगवार, जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल और गायत्री परिवार की डेढ़ दर्जन से ज्यादा चुनिंदा सेवाभावी कार्यकर्त्रियों का भी मंच पर बुलाकर अभिनंदन किया गया। कार्यशाला के सफल समापन के बाद शांति कुंज से आई टोली को भावभीनी विदाई दी गई।

कार्यशाला में राजश्री मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने भी प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में डॉक्टर दीपाली शर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष रश्मि पटेल, उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य पुष्पा पांडे, अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की अध्यक्ष श्रीमती श्रुति गंगवार,,श्रीमती निधि चौधरी, श्रीमती सीमा जादौन समेत तमाम गणमान्य नागरिकों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन महानगर समन्वयक डॉक्टर दीपमाला शर्मा एवं जिला समन्वयक दिनेश पांडे ने संयुक्त रूप से किया। अंत में गायत्री चेतना केंद्र के मुख्य ट्रस्टी आशुतोष तिवारी ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में जिला युवा समन्वयक संदीप चौधरी, राजेश गंगवार, बलवीर सिंह, अमर सिंह परमार, सरस्वती गंगवार, सरोज गंगवार प्रेम कांति गंगवार,कमला रानी, मंजू तिवारी, राखी शर्मा,राम प्रकाश,डा०मुकेश कुमार, शिवेंद्र भदौरिया और शहर-देहात के बड़ी संख्या में गायत्री परिवार की महिलाओं व भाइयों ने सक्रिय सहयोग किया।

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