Thursday, November 21, 2024
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रामनगर या लालकुआं से मुंबई तक छह महीने में दौड़ेगी हाईस्पीड वंदे भारत स्लीपर ट्रेन

युद्धस्तर पर चल रहा ट्रैक बदलने का काम, गोरखपुर से आई पांचवीं बीसीएम मशीन

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल द्वारा स्लीपर कोच वाली सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेन रामनगर या लालकुआं से मुंबई तक चलाई जाएगी। सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के लिए जरूरी ट्रैक को बदलने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। किच्छा में ट्रैक की मजबूती का काम भी इसी योजना का हिस्सा है।

इज्ज्तनगर मंडल को वंदे भारत ट्रेन पहले ही मिल गई थी, लेकिन वाशिंग लाइन की दिक्कत और ट्रेन की स्पीड के अनुसार ट्रैक की मजबूती नहीं होने से इनका संचालन कुछ दिनों के लिए टल गया था। अगले छह महीने में ट्रैक बदलकर वंदे भारत ट्रेन का संचालन शुरू कर दिए जाने की उम्मीद है।

रेलवे के सूत्रों के अनुसार काठगोदाम स्टेशन की वाशिंग लाइन में ट्रेन को खड़ी करने के लिए जगह की कमी है। ऐसे में लालकुआं या रामनगर से मुंबई के लिए वंदे भारत स्लीपर चल सकती है। इसकी तैयारियां जारी हैं। वर्तमान में इज्जतनगर मंडल में रेलवे ट्रैक की क्षमता 110 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेनों को दौड़ाने की है। लेकिन वंदे भारत ट्रेनों की गति इससे कहीं तेज होती है। मंडल में कई जगह रेल लाइन और सड़क पास-पास हैं। इससे वन्य जीवों के हाई स्पीड ट्रेनों सी चपेट में आकर हताहत होने या बड़े हादसे की वजह बनने का खतरा भी है। इसे रोकने के लिए रेलवे ट्रैक के दोनों किनारों पर फैंसिंग भी कराई जाएगी। इसका टेंडर भी हो चुका है। वंदे भारत ट्रेन का रूट भी लगभग तय हो गया है। रुद्रपुर या लालकुआं से चलने वाली वंदे भारत ट्रेन बरेली सिटी, बरेली जंक्शन, बदायूं, कासगंज, मथुरा होते हुए मुंबई तक चलाई जा सकती है।

एक बीसीएम मशीन और मंगाई, रात-दिन चल रहा काम
किच्छा में बीसीएम से पत्थरों को साफ करने का काम कई दिनों से काम चल रहा है। चार घंटे के ब्लॉक में हर रोज 400 मीटर काम हो रहा था लेकिन रविवार की रात एक और मशीन मंगाकर 700 मीटर तक काम पूरा किया गया। बीसीएम डिरेल होने से तीन दिन काम प्रभावित रहा तो अब एक मशीन और मंगा ली गई है। गोरखपुर से एक और मशीन यहां पहुंच जाने से अब पांच मशीनों के जरिए पत्थरों की सफाई का काम बहुत तेजी से कराया जाएगा।

रेल पटरियां भी बदली जाएंगी
मंडल में कई जगह पुरानी पटरी पड़ी हैं जो 52 और 60 किलो की हैं, जबकि 52 किलो की रेल पटरी पर हाईस्पीड ट्रेनें नहीं चलाई जा सकती हैं। भोजीपुरा-मैलानी रूट पर 60 किग्रा की पटरी डाली गई है। इसके अलावा कई अन्य सेक्शनों में भी पटरियां बदली जा चुकी हैं।

पुरानी पटरियों से फैंसिंग, स्लीपरों से बना रहे मजबूत सड़क

पुरानी रेल पटरियों की नीलामी के बजाय इनका उपयोग रेलवे ट्रैक की मजबूत फैंसिंग बनाने में किया जा रहा है। इसी तरह लकड़ी के बेकार स्लीपरों से रुद्रपुर स्टेशन पर सड़क बनाई गई है जो मजबूती में सीसी रोड से भी ज्यादा बेहतर हैं।

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