Friday, November 8, 2024
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उत्तराखंड हाईकोर्ट में आरटीआई एक्टिविस्ट को सुरक्षा देने मामले में सुनवाई, मामला दूसरी खंडपीठ को भेजा

एफएनएन, नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चोरगलिया हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट भुवन चन्द्र पोखरिया की सुरक्षा दिलाये जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने मामला सुरक्षा दिलाए जाने से जुड़ा होने के कारण मामले को सुनवाई हेतु दूसरी खंडपीठ को भेज दिया है.

मामले के अनुसार याचिका में कहा है कि साल 2020 में राज्य सरकार ने स्टोन क्रशर,खनन भंडारण सहित एनजीटी व उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की. जिसका घोर विरोध पोखरिया के द्वारा किया गया. लेकिन सरकार ने अपने कार्यों को छुपाने के लिए उनके खिलाफ चोरगलिया पुलिस ने उसी थाने में आईपीसी की धारा 107, 116 की कार्रवाई की. फिर उसी रिपोर्ट को आधार बनाकर उनका लाइसेंसी शस्त्र निरस्त कर मालखाने में जमा करा दिया. जिसके बाद अपने को दोषमुक्त दिखाने के लिए न्यायालय की शरण ली और उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल ने दोषमुक्त कर दिया था. फिर पुलिस द्वारा दोषमुक्त अपराधों को आईपीसी की धारा 16 व 17 में उन्हें दोषी दिखाकर गुंडा एक्ट की कार्रवाई करते हुए जिला बदर की कार्रवाई कर दी.

लेकिन न्यायालय ने इस मामले में भी उन्हें साल 2022 में दोषमुक्त कर दिया और कुमाऊं आयुक्त के न्यायालय से उनका जंग लगा सत्र बहाल हुआ. लेकिन जिलाधिकारी ने लाइसेंस का नवीनीकरण करने की अनुमति नहीं दी. 15 जनवरी 20204 व 18 जनवरी 2024 को उनके द्वारा डीजीपी को शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में कहा कि पुलिस द्वारा बगैर अपराध के गुंडा एक्ट लगाना, बिना उनके द्वारा लाइसेंसी शस्त्र का दुरुपयोग किए उसका लाइसेंस निरस्त करने, बार-बार पुलिस द्वारा उनकी सामाजिक छवि को खराब करने के लिए थाने में बुलाकर प्रताड़ित,शोषण करने का आरोप लगाया. साथ ही पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. यह भी कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें धमकी मिल रही है.

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राज्य सूचना आयोग ने उनके इस प्रकरण पर सुनवाई करते हुए एसएसपी नैनीताल को निर्देश दिए कि उनको सुरक्षा दी जाए, साथ में जांच रिपोर्ट करें. एएसपी हल्द्वानी द्वारा गलत जांच रिपोर्ट बनाकर रिपोर्ट पेश की. आयोग ने एएसपी की कार्यशैली की घोर निंदा की. कहा कि बिना जांच करें उन वादों की रिपोर्ट पेश कर दी जिनमें वे दोषमुक्त हो चुके हैं. इसलिए इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, ना ही उनको सुरक्षा दी गयी. इसको आधार बनाकर उनके द्वारा उच्च न्यायालय में सुरक्षा दिलाए जाने की गुहार लगाई है. याचिका में राज्य सरकार, डीजीपी, डीआईजी कुमाऊं, एसएसपी नैनीताल और एसएसपी उधम सिंह नगर को पक्षकार बनाया है.

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