एफएनएन, रुद्रपुर: उत्तराखंड के किसान नेता डाॅ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि यह सरकार किसान विरोधी है। मंडियों को बंद करने की साजिश की जा रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने की साजिश की जा रही है। सस्ते गल्ले की दुकान को भी बंद करने की कोशिश की जारी है। किसानों के फसलों का मूल्य निर्धारण फैक्ट्रियां के मालिक, उद्योगपति जो किसानों की फसलों को खरीदने का व बेचने का कारोबार करेंगे, सरकार ने उनके हाथों में मूल्य धारण करने का मौका देने की कोशिश की है आज सरकार को चाहिए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य खुद निर्धारित करें, जिस तरह से महंगाई बढ़ी है 20 से 30 प्रतिशत बढ़ी है उसी तरह किसानों को फसलों का मूल्य का निर्धारण करना चाहिए। हाल ही में डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी से खाद बीज ढुलान का खर्च बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व मे चंद उद्योग पतियों का 5 लाख 55 हजार करोड़ कर्ज माफ किया है , लेकिन किसानों का कोई कर्जा माफ व छूट नहीं दी है।
जनता सब जानती है
लॉकडाउन कोरोना महामारी के दौरान वित्त मंत्री ने 20 लाख करोड़ का जो पैकेज देश के हर क्षेत्रों में दिया था। महंगाई व महामारी से आम जनता व किसानों को कोई फायदा नहीं मिला जनता सब जानती है। उन्होंने कहा कि नैनीताल की डबल बेंच की खंडपीठ ने एक ऐतिहासिक किसान हित में फैसला दिया था, डॉ स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करें और मिनिमम न्यूनतम समर्थन मूल्य तीन गुना किया जाए, जो अभी तक लागू नहीं किया गया है। अभी भी वह मेरा केस नैनीताल हाई कोर्ट में चल रहा है। प्रदेश में न तो फसल का वाजिब दाम मिल पा रहा है और न ही उन्हें समय पर सरकार द्वारा फसल मूल्य का भुगतान किया जा रहा है। इस स्थिति में किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।