Tuesday, July 1, 2025
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Homeराज्यउत्तराखंडमुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में गड़बड़झाला, अधिकारियों ने खुद लगवा लिए प्लांट

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में गड़बड़झाला, अधिकारियों ने खुद लगवा लिए प्लांट

एफएनएन, उत्तराखंड : मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में गड़बड़झाला सामने आया है। अधिकारियों ने जनता को इसका लाभ देने के बजाय खुद या अपने परिजनों के नाम से सोलर प्लांट लगवा लिए। प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसकी जांच के लिए सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है।

सरकार ने प्रदेश के बेरोजगारों, उद्यमियों, ऐसे प्रवासी जो कोविड-19 के कारण प्रदेश लौट आए थे के साथ ही लघु एवं सीमांत कृषकों को स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना लागू की थी। इसके तहत 20, 25, 50, 100 और 200 किलोवाट क्षमता के सोलर प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। चयनित लाभार्थियों को उद्योग विभाग की ओर से संचालित मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत अनुमन्य लाभ भी दिए जाते हैं।

प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि विभिन्न स्तरों पर सरकारी अधिकारियों के खुद या अपने परिजनों के नाम से सोलर प्लांट लगवाने की शिकायतें मिली हैं। जिससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने ये भी कहा है कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर परियोजनाओं के आवंटन की व्यवस्था का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि परियोजनाओं के आवंटन में निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन और जनहित में योजना के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता न हो, इसके लिए अब तक हुए सभी आवंटन की जांच की जाए।

नियम विरुद्ध आवंटन पर सब्सिडी का लाभ बंद होगा

प्रमुख सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने स्पष्ट किया है कि जिन जिलों में इस प्रकार के प्रकरण पकड़ में आएंगे, उनकी राज्य से मिलने वाली सब्सिडी बंद की जाएगी। इस संबंध में महानिदेशक उद्योग को भी पत्र भेज दिया गया है।

योजना की मजबूत प्रक्रिया को भी दे दिया गच्चा

सीएम सौर स्वरोजगार योजना के तहत प्रोजेक्ट आवंटन की प्रक्रिया काफी मजबूत बनाई गई है। आवेदनों की स्क्रूटनी के लिए जिला स्तर पर तकनीकी समिति का गठन किया गया है। इस समिति की ओर से तकनीकी रूप से उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना आवंटन करने के लिए जिलास्तर पर जिलाधिकारी या उनकी ओर से नामित मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति फैसला लेती है।

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