एफएनएन, अल्मोड़ा: जिले में प्रतिदिन आग का तांडव मचा हुआ है. वन विभाग जंगलों की आग को रोकने के लिए नाकामयाब साबित हो रहा है. रविवार को आग ने दूनागिरि के जंगल में तांडव मचाया. आग विकराल रूप लेते हुए दूनागिरि मंदिर परिसर तक पहुंच गई. इस दौरान मंदिर क्षेत्र में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं में अफरा तफरी मच गई. वह इधर उधर भागने लगे.
दूनागिरि मंदिर परिसर तक पहुंची वनाग्नि: दूनागिरि मंदिर के पीछे की ओर विगत कुछ दिनों से आग लगी हुई थी. वन विभाग की टीम के कर्मचारी इस आग पर नियंत्रण पाने का प्रयास कर रहे थे. रविवार को वन विभाग की टीम मंदिर परिसर के पीछे साइड बटिया (रास्ता) की सफाई कर आग पर नियंत्रण करने के प्रयास में लगी थी. अचानक हवा के तेज झोंकों ने आग को विकराल बना दिया.
दूनागिरि मंदिर में मचा हड़कंप: धीरे धीरे आग मंदिर परिसर तक पहुंच गई. आग विकराल रूप लेते हुए मंदिर के गेट तक पहुंच गई. मंदिर में दर्शन करने पहुंचे लोगों में आग को देख कर अफरा तफरी मच गई. श्रद्धालु जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे. वन विभाग की टीम और स्थानीय लोगों ने तुरंत मंदिर में आए दर्शनार्थियों को वहां से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. वहीं नीचे सड़क पर खड़े वाहनों को भी घटना स्थल से हटाया गया. इस तरह बड़ी मुश्किल से जनहानि की बड़ी घटना होने से बच गई.
बमुश्किल पाया आग पर काबू: वन विभाग की टीम ने स्थानीय दुकानदारों और पीआरडी जवानों की मदद से बमुश्किल आग पर काबू पाया. टीम में मनमोहन तिवारी, रोशन कुमार, तनुजा पाठक, पंकज तिवारी, भानु प्रकाश गिरी, प्रदीप चंद, मनोज मेहरा, राजेश बुधानी, ललित रौतेला, अंकित सिंह, गोविंद सिंह आदि शामिल रहे.
अल्मोड़ा में वनाग्नि ले चुकी है 4 लीसा श्रमिकों की जान: गौरतलब है कि इन दिनों उत्तराखंड के लगभग हर जंगल में आग लगी है. पिछले दिनों अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के जंगल में भीषण आग लगने से 4 लीसा श्रमिकों की जान चली गई थी. ये श्रमिक भी जंगल में लगी आग को बुझाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन आग ने इतना विकराल रूप लिया कि नेपाल निवासी चार लीसा श्रमिक वनाग्नि की चपेट में आ गए थे.
वनों के आसपास आग जलाने पर प्रतिबंध: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को फोन पर निर्देश दिया है कि वह तुरंत जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक हर दिन जंगल की आग पर निगरानी रखने के निर्देश जारी करें. सीएम धामी ने जिलाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के लिए सभी प्रकार के चारे को जलाने (पराली जलाने) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही शहरी निकायों को यह भी निर्देश दिया गया है, कि वे अपने ठोस अपशिष्ट को जंगलों या जंगलों के आसपास जलाने पर प्रतिबंध लगाएं.
प्रमुख वन संरक्षक ने ली समीक्षा बैठक: इधर प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड वन विभाग, डॉ धनंजय मोहन ने वन अग्नि नियंत्रण समीक्षा बैठक ली. इस सत्र के दौरान, सभी अलर्टों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के महत्व पर जोर दिया गया. प्रमुख वन संरक्षक ने तत्काल प्रभाव से आग को नियंत्रित करने के लिए विशिष्ट निर्देश जारी किए.