60 दिन के भीतर कोर्ट में करना होगा सरेंडर, तब तक गिरफ्तारी पर रहेगी रोक
एफएनएन ब्यूरो, बरेली। सात लाख रुपये रिश्वत की रकम बरामदगी मामले में फरार चल रहे फरीदपुर कोतवाली के निलंबित इंस्पेक्टर रामसेवक को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निलंबित इंस्पेक्टर रामसेवक को 60 दिनों के भीतर जिला एवं सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
बता दें कि बरेली के फरीदपुर थाने में दो स्मैक तस्करों को सात लाख रुपये की रिश्वत लेकर छोड़ने के गंभीर आरोप में रामसेवक फरार है। पुलिस अधिकारियों ने छापा मारकर उसके सरकारी आवास से पौने दस लाख रुपये से ज्यादा रकम बरामद की थी। रामसेवक के विरुद्ध दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। एक एफआईआर में भ्रष्टाचार की धाराएं हैं, तो दूसरी सरकारी पिस्टल को ले जाने का आरोप है।
रामसेवक ने गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया। रामसेवक के मामले में बरेली पुलिस ने कई बार संभावित ठिकानों पर दबिशें भी दीं, लेकिन वह हाथ नहीं आया। सीओ हाईवे नितिन कुमार के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने चार-पांच स्थानों पर छापे मारे, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
वहीं हाईकोर्ट ने रामसेवक को चेतावनी दी है कि यदि वह 60 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करता है, तो उसकी जमानत के आवेदन पर विचार किया जाएगा। 60 दिन की तय मियाद में भी कोर्ट में सरेंडर नहीं करने की स्थिति में पुलिस उसकी गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू कर सकती है।
रामसेवक ने अपने खिलाफ रंजिश का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी। वह अब कोर्ट में अपने इस दावे को साबित करने के लिए साक्ष्य जुटाने का प्रयास कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, वह अपने ही विभाग के एक व्यक्ति को अपने विरुद्ध लगे संगीन इल्ज़ाम के लिए जिम्मेदार मानता है और उसके खिलाफ साक्ष्य भी एकत्रित कर रहा है।