मुकेश तिवारी, बरेली : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के रूहेलखंड मंडल के परिणाम किसी भी राजनीतिक दल के लिए बेहद फायदेमंद होता है और 2017 के चुनाव में इस क्षेत्र से भाजपा को बड़ी मजबूती मिली थी। इस मंडल की 25 सीटों में से 23 सीटें जीती। लेकिन इस बार यहां भाजपा को अपने पूरे इतिहास को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। समाजवादी पार्टी इस बार अपनी खोई जमीन पाने के लिए दिन-रात जुटी है। इस क्षेत्र में स्थानीय मुद्दों से ज्यादा प्रभावी वोटों का ध्रुवीकरण होने की संभावना है। मुरादाबाद मंडल में सपा-रोलोद का गंठबंधन भाजपा के सामने एक बार फिर चुनौती खड़ी करेगा। बरेली जिले की सभी नौ सीटें इस समय भाजपा के पास है। शहर विधानसभा सीट पर भाजपा का प्रभुत्व यह है कैंट विधानसभा सीट पर सपा, कांग्रेस व बसपा जीत दर्ज कर चुकी हैं मगर 2012 में परिसीमन के बाद भाजपा के प्रदेश के पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल का कब्जा है। हालांकि इस बार सपा, कांग्रेस पार्टी की भी नजर इस सीट पर है। इसलिए सपा शहर व कैंट सीट पर मजबूत प्रत्याशी की तलाश में है चर्चा यह तक है पार्टी बाहरी दावेदार यानी भाजपा व कांग्रेस के बागियों को भी प्रत्याशी बनाने में संकोच नहीं करेगी।
इसी तरह बिथरी चेनपुर, फरीदपुर, नवाबगंज, भोजीपुरा, बहेड़ी, आंवला व मीरगंज सीटों पर प्रत्याशी को लेकर घमासान मचा हुआ है। इन सभी सीटों पर भाजपा और सपा के बीच में सीधी चुनावी टक्कर होने की संभावना है। इसलिए भाजपा यहां की सभी सीटों पर प्रत्याशी चयन करने में कोई जोखिम उठाना नहीं चाह रही है इसलिए पार्टी स्तर पर एक एक सीट पर जबरदस्त तरीके से मंथन किया जा रहा है। वहीं सपा, कांग्रेस और बसपा भी इस बार कोई प्रत्याशी चयन में गलती नहीं करना जा रही है। इस बार बरेली जिले की नौ सीटें पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है।