
फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली। एस एंड सी कर्मचारी यूनियन की कार्यकारिणी सदस्यों की एक बैठक शैलेन्द्र चौबे की अध्यक्षता मे कैंप कार्यालय ,रामपुर गार्डन,बरेली में सम्पन्न हुई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए शैलेन्द्र चौबे ने बताया कि दिनांक 20 मई को रबड़ फैक्टरी के जमीन पर सरकार द्वारा 20 दिसम्बर 2023 को आये फैसले के वाद अभी तक सरकार अपने अधिकार में लेने को केवल कागजी घोड़े शासन और प्रशासन के बीच दौड़ाने के अलावा कोई ठोस पैरवी नहीं हो पाई है लिहाजा फैक्ट्री में कार्यरत रहे मजदूरों में बहुत रोष है। मजदूरों का यह भुगतान पिछले 26 साल से विलंबित है।

- श्रमिक नेता/महासचिव अशोक कुमार मिश्रा ने कहा कि 15 जुलाई 1999 को फैक्ट्री की अचानक अघोषित तालाबंदी कर दी गई। तभी से भयंकर आर्थिक तंगी झेलते आ रहे विस्थापित मजदूरों के भुगतान को सुरक्षित और सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यूनियन लगातार संघर्षरत रही है। आखिरकार मुम्बई उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त ऑफिशियल लिक्यूडेटर द्वारा 16 जनवरी 2023 को रबड़ फैक्ट्री के सभी 1432 वैध स्थायी कर्मचारियों के विधिक भुगतान दावों (क्लेम्स) पर अपनी मंजूरी की मुहर लगाई थी। लेकिन शासन-प्रशासन ऑफिशियल लिकयूडेटर उच्च न्यायालय मुम्बई के स्पष्ट आदेश के बाद भी ढाई साल गुजरने पर भी मजदूरों को भुगतान कराने में विफल ही रहा है।
- श्रमिक नेताओं ने दावा किया कि पिछले ढाई साल में बेकारी, आर्थिक तंगी और बीमारियों की वजह से 29 मजदूर मौत को प्राप्त हो चके हैं। इससे पहले भी सैकड़ों विस्थापित रबड़ फैक्ट्री कर्मी भयावह शारीरिक-मानसिक संत्रास झेलते हुए इलाज नहीं करवा पाने की वजह से असमय ही मौत के मुंह में जा चुके हैं। बैठक में महासचिव अशोक मिश्रा ने बताया कि वह मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, आयुक्त महोदय बरेली, जिलाधिकारी बरेली और रबड़ फैक्टरी के नोडल अधिकारी बरेली को भी अपनी यूनियन के कोर कमेटी के सदस्यों के साथ कई ज्ञापन देकर अवगत करा चुके हैं। हमारी मांग है कि फोरलेन में अधिग्रहीत की गई रबड़ फैक्ट्री की जमीन के मुआवजे की रकम में से हम
मजदूरों को अन्तरिम आर्थिक राहत प्रदान की जाय। - जल्द सुनवाई नहीं होने पर
यूनियन के बैनर तले निकट भविष्य में बडा धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी गई।
बैठक मे प्रदीप कुमार,मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार, आरसी शर्मा, अनिल कुमार, हैदर नबी,अजय भटनागर एससी निगम आदि कार्यकारिणी सदस्य मौजूद रहे।