एफएनएन, देहरादून। धनतेरस और छोटी दीपावली शुक्रवार को मनाई जा रही है। धनतेरस को लेकर व्यापारियों में खासा उत्साह नजर आ रहा है। बाजारों में छोटी-बड़ी दुकानें सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाई गई हैं। कोरोना के खतरे के बावजूद दुकानों पर महिला-पुरुष खरीदारों की भीड़ भी खूब उमड़ रही है। छोटी दीपावली पर शाम को दीपदान का विधान है।
मुहूर्त
आचार्य डा. सुशांत राज ने कहा कि छोटी दीपावली पर यम दीपदान का मुहूर्त शाम 5.30 से 7.30 बजे तक रहेगा। जबकि, बड़ी दीपावली शनिवार को मनाई जाएगी।आचार्य डॉ. सुशांत राज के अनुसार, धनतेरस का मुहूर्त सुबह 07.00 से 10.00 बजे तक रहेगा। जबकि, दूसरा मुहूर्त दोपहर 1.00 से 2.30 बजे तक है। आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने कहा कि धनतेरस पर बर्तन की खरीदारी को खासा महत्व दिया गया है। मान्यता है कि इस दिन घर में नया सामान लाने से खुशहाली आती है। धनतेरस व दीपावली पर लक्ष्मी माता की विशेष कृपा रहती है।
धनतेरस पर खरीदारी का मुहूर्त
– सुबह 7.00 से 10.00 बजे
– मुहूर्त दोपहर 1.00 से 2.30 बजे
छोटी दीपावली पर दीपदान का मुहूर्त
-शाम 5.30 से 7.30 बजे
कार्तिक मास के कृष्ण की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर को है । पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्रमंथन के समय भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। ये देवों के चिकित्सक हैं इसलिए इन्हें चिकित्सा का देवता माना जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा करने से आरोग्यता मिलती है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने का भी प्रावधान है। इससे साल भर घर धन-धान्य से भरा रहता है। धनतेरस पर पांचमुखी दीपक जलाना चाहिए, इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा कुछ उपाय और मंत्रो को जाप से आप धन संबंधित परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।
11 बार करें धन के देवता कुबेर जी के मंत्र का जाप
धनतेरस के दिन कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। क्योंकि इनकी पूजा करने से स्थाई धन की प्राप्ति होती है। धनतेरस के दिन शाम को पूजा करते समय भगवान के समक्ष कुबेर मंत्र का जाप 11 बार करें, इससे आपकी धन संबंधित सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।’
धनतेरस के दिन कुबेर एवं माता लक्ष्मी का पूरे विधि-विधान के साथ पंचोपचार पूजन करें। पूजन करते समय ऊँ कुबेराय नम: मंत्र का उच्चारण करें। उसके बाद सिंदूर में घी मिलाकर तिजोरी या फिर धन रखने की अलमारी के दरवाजे पर स्वास्तिक का चिह्म बनाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जाप करें।
ऊं कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता।
तां देवीं प्रेषयाशु त्वं मद्गृहे ते नमो नम:।।
गोवर्धन: पूजन का समय : शाम 5:50 से 7:46 बजे तक
योग : शोभन योग, विशाखा नक्षत्र
दिवाली से अगले दिन अन्नकूट पूजा होगी। यह 15 नवंबर को है। ब्रज में इसका खास महत्व है। मान्यता है कि इंद्र ने एक बार कोप में आकर घनघोर वर्षा की। ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। अन्नकूट पर गिरिराज धरण भगवान की जाती है, उनको भोग लगाया जाता है।
भैया दूज: तिलक के मुहूर्त : सुबह 9:21 से 11:26 बजे , दोपहर 1:11 से 2:42 बजे
योग : सर्वार्थ सिद्धि योग, हर्ष महापुरुष योग,
भैया दूज का पर्व 16 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भाई-बहन यमुना में साथ स्नान करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से प्राणी की अकाल मृत्यु नहीं होती है। आगरा और मथुरा में भाई दूज पर यमुना के घाटों पर भारी भीड़ उमड़ती है।
दीपावली: घरों में पूजन का शुभ मुहूर्त : शाम 5:54 से 7:50 बजे
योग : आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, लक्ष्मी योग, वीणा योग
इस बार छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन 14 नवंबर को मनाई जाएंगी। छोटी दिवाली को रूप चौदस और नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वामन अवतार इसी दिन हुआ था। दिवाली के बारे में मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के समय महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। त्रेता युग में भगवान राम के वनवास से वापस आने पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
दीपावली पर वास्तु का ध्यान रखें तो मिलेंगे शुभ परिणाम
सनातन धर्म में भगवान गणेश और श्री महालक्ष्मी की प्रसन्नता का पर्व कार्तिक अमावस्या यानि शुभ दीपावली पर्व इस बार 14 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा। भगवान विष्णु की प्रिया महालक्ष्मीजी के स्वागत में कई-कई दिनों पहले से ही हम तैयारियों में जुट जाते हैं। घरों और व्यापारिक संस्थानों की साफ-सफाई, रंग-रोगन के उपरांत खूब सजाया जाता हैं। दीपावली पर देवी लक्ष्मी के स्वागत तरह-तरह के तोरण या बंधनवार आप अपने मुख्य द्वार पर लगाते हैं। यदि वास्तु नियमों के अनुसार दिशाओं और रंगों को ध्यान में रखकर कार्यस्थल या घर के मुख्य द्वार पर तोरण बांधा जाए तो निश्चित रूप से हमें शुभ परिणाम प्राप्त होंगे और खुशियां, सफलता और समृद्धि हमारे जीवन में दस्तक देंगी।
धनवर्षा करती है श्रीयंत्र की पूजा
मां लक्ष्मी के श्री यंत्र को धन वर्षा करने वाला यंत्र माना गया है। इसलिए दिवाली के दिन इस यंत्र की पूजा करके उसे तिजोरी में स्थापित करना चाहिए। मान्यता है कि इससे कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
शाम 5:50 से 7:46 बजे तक
योग : शोभन योग, विशाखा नक्षत्र
दीपावली से अगले दिन अन्नकूट पूजा होगी। यह 15 नवंबर को है। ब्रज में इसका खास महत्व है। मान्यता है कि इंद्र ने एक बार कोप में आकर घनघोर वर्षा की। ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। अन्नकूट पर गिरिराज धरण भगवान की जाती है, उनको भोग लगाया जाता है।
भैया दूज: तिलक के शुभ मुहूर्त
सुबह 9:21 से 11:26 बजे , दोपहर 1:11 से 2:42 बजे
योग : सर्वार्थ सिद्धि योग, हर्ष महापुरुष योग,
भैया दूज का पर्व 16 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भाई-बहन यमुना में साथ स्नान करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से प्राणी की अकाल मृत्यु नहीं होती है। आगरा और मथुरा में भाई दूज पर यमुना के घाटों पर भारी भीड़ उमड़ती है।