देश के जाने-माने बाल कवि स्वर्गीय सेवक जी की 106वीं पावन जयंती पर मीरगंज के बहादुरपुर गांव में विशेष प्रतियोगिता
झारखंड के महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार ने दसों को प्रथम घोषित कर किया पुरस्कृत
** चिड़िया लिए चोंच में तिनका, चली बनाने घर
एफएनएन ब्यूरो-मीरगंज-बरेली। निरंकार देव सेवक बाल साहित्य संस्थान के तत्वावधान में रामचरन लाल मैमोरियल इंटर कॉलेज, बहादुरपुर, मीरगंज में सेवक जी की 106वीं पावन जयंती पर रविवार को उनकी बाल कविताओं की प्रतियेगिता कराई गई।

विद्यालय की दस बाल कवयित्रियों ने सेवक जी की बहुप्रचारित दस कविताएं सुनाकर समां बांध दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने सभी दस बाल कवयित्रियों दिव्या, शशि राजपूत, आरोही सिंह, विनीता राजपूत, कशिश राजपूत, वर्षा, अनुराधा, कशिश सिंह, रोशनी सिंह और उर्मिला को विजेता घोषित किया और सङी को प्रमाणपत्र, स्मृति चिह्न भेंटकर तथा सुनहरी माला एवं मेडल पहनाकर पुरस्कृत किया।

इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने उद्बोधन में कहा कि सेवक जी से उनका भी परिचय रहा था। उनकी रचनाएं बाल साहित्य की अनूठी धरोहर हैं। हमें गर्व है कि बाल साहित्य के चितेरे कवि सेवक जी बरेली के थे।
एक बाल कवयित्री ने सेवक जी की यह कविता सुनाई-
“चिड़िया लिए चोंच में तिनका चली बनाने घर,
कौन रहेगा, कौन रहेगा इस घर के अंदर?”
एक अन्य बाल कवयित्री ने सेवकजी की इस कविता को सुरीले सुर में गाया तो सब झूम उठे-
“एक शहर है टिम्बकटू – लोग वहां के हैं बुद्धू-
बिना बात के ही ही ही – बिना बात के हू हू हू “
एक अन्य कवयित्री के मुख से सेवक जी की यह कविता भी खूब पसंद की गई-
“रानी बिटिया चली घूमने, दिल्ली से आगे बढ़ –
चलते चलते चलते चलते पहुंच गई चंडीगढ़”
एक बाल कवयित्री ने गाया-
“चंदा मामा दूर के – पुए पकायें पूर के “
एक बाल कवयित्री ने सेवक जी की यह बाल कविता सुनाई-
“अगर-मगर दो भाई थे – करते खूब लड़ाई थे”
एक बाल कवयित्री ने सेवक जी की यह बाल कविता प्रस्तुत की-
“तुम रहो किताबों के कीड़े, हम खेल रहे मैदानों में”
संस्थान के अध्यक्ष इंद्रदेव त्रिवेदी ने निरंकार देव सेवक का प्रेरणाप्रद और रोचक जीवन परिचय बच्चों को विस्तार से सुनाया और बताया कि सेवक जी ने सैकड़ों की संख्या में बहुचर्चित बाल कविताएं लिखी थीं। उनकी बाल कविताओं के कुल 55 संग्रह प्रकाशित हुए थे जो बाल साहित्य की अमूल्य निधि हैं।
प्रतियोगिता के निर्णायक साहित्यकार डॉ. सुरेश रस्तोगी रहे। संचालन संस्थान के अध्यक्ष इंद्रदेव त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम में विशेष सहयोग राकेश शर्मा, नितिन शर्मा, मुकेश शर्मा, श्रुति गंगवार, वीरेंद्र गंगवार, मुकेश शर्मा ने किया।