एफएनएन, बहराइच : बेहोशी व बच्चों के डॉक्टर ने बुजुर्ग के गॉल ब्लैडर का तीन बार ऑपरेशन किया। इसके बाद रविवार की देर शाम बुजुर्ग कृपाराम की मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने सीएम, डीएम व थाना दरगाह में शिकायत की है। वहीं सीएमओ ने जांच कमेटी गठित करते हुए शासन को अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने के लिए पत्र लिखा है। उधर पुलिस ने सोमवार को मृतक का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों के हवाले कर दिया। मामले में अभी तक कोई केस नहीं दर्ज किया गया है। परिजनों ने निजी अस्पताल के बाहर हंगामा भी किया।
शव का पोस्टमार्टम कराने आए श्रावस्ती के भिनगा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मच्छरीवा निवासी उज्ज्वल मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्होंने 17 फरवरी को अपने गांव के ही कृपाराम यादव (60) को गॉल ब्लैडर में पथरी की शिकायत होने पर शहर के एके हॉस्पिल में भर्ती कराया था। वहां एनेस्थीसिया व बच्चों के डॉ. अतुल मिश्रा ने कहा था कि सर्जन को बुलाकर ऑपरेशन करवा देंगे। लेकिन उन्होंने खुद ऑपरेशन कर दिया।
आरोप लगाया कि मरीज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह छोटा-मोटा ऑपरेशन है जो हम खुद ही करते हैं। ऑपरेशन मैंने ही किया है। हॉस्पिटल व मैं इंश्योर्ड हूं। उज्ज्वल ने दावा किया कि डॉक्टर से बातचीत का वीडियो उन्होंने बना लिया था। इसकी शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर करने के साथ ही जिलाधिकारी व थाना दरगाह में की है।
10 हजार लेने के बाद आयुष्मान कार्ड से इलाज शुरू करने का आरोप
मृतक के पुत्र रंगीलाल ने बताया कि इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर ने 10 हजार रुपये जमा करा लिए थे। इसके बाद आयुष्मान कार्ड से उनके पिता का इलाज शुरू कया गया। उसने बताया कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण ऑपरेशन वाली जगह से यूरिन आ रहा था। इंफेक्शन होने की वजह से उनके पिता की मौत हुई है।
मौत से पहले बुजुर्ग ने दिया यह बयान
मौत होने से पहले बुजुर्ग कृपाराम ने भी डॉक्टर की करतूत का पर्दाफाश किया है। परिजनों द्वारा बनाए गए वीडियो में कृपाराम कह रहे हैं कि वे चार तारीख को भर्ती हुए थे। डॉ. अतुल मिश्रा ने सर्जन से ऑपरेशन न कराकर स्वयं कर दिया है। जख्म बहुत हैं। बहुत परेशानी है। टांका काट दिया है। घाव भी बहुत हैं।
विवादों से घिरा है अस्पताल
डॉ. अतुल मिश्रा की तैनाती पयागपुर सीएचसी में ऐनेस्थीसिया विशेषज्ञ के रूप में है, लेकिन शहर में एके हॉस्पिटल के नाम से नर्सिंग होम भी चला रहे हैं। इसके पहले भी मरीजों की मौत पर हंगामा व कार्रवाई हो चुकी है। एक बार हॉस्पिटल सीज भी किया जा चुका है, फिर भी यह अस्पताल चल रहा है।
लाइसेंस निरस्त करने के लिए शासन को लिखा पत्र