Saturday, December 20, 2025
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आध्यात्मिक संस्था शांतिकुंज का शताब्दी समारोह: बैरागी द्वीप में 19 जनवरी से शुरू होगा

एफएनएन, हरिद्वार : आध्यात्मिक संस्था शांतिकुंज का शताब्दी समारोह इस बार धूमधाम से मनाया जाएगा. जनवरी 2026 में शांतिकुंज की स्थापना के 100 साल पूरे होने जा रहे हैं. इस मौके पर आयोजित शताब्दी समारोह में दुनिया के कई देशों से शांतिकुंज के साधक जुटेंगे. इससे पहले 4 दिसंबर को भूमि और रज पूजन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें उत्तराखंड के राज्यपाल प्रतिभाग करेंगे. शांतिकुंज के देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि शताब्दी समारोह 5 वर्षों तक चलेगा. इसकी पहली कड़ी जनवरी 2026 में आयोजित होगी.

शांतिकुंज का शताब्दी समारोह: 19 से 23 जनवरी 2026 तक हरिद्वार के बैरागी द्वीप में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज की ओर से मनाए जाने वाले शताब्दी महोत्सव कार्यक्रम में नो कार्ड नो एंट्री सिस्टम लागू होगा. बिना कार्ड के किसी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. दुनियाभर के 30 हजार से अधिक साधक इस कार्यक्रम में रहेंगे. 2011 में हुए हादसे के बाद शांतिकुंज की ओर से यह व्यवस्थाएं की गई हैं.

शांतिकुंज के शताब्दी समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे: कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह समेत देश के प्रतिष्ठित संत शामिल होंगे. देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि और प्रतिकुलपति, डीएसवीवी डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने बताया वर्ष 2026 में इन तीनों महत्वपूर्ण दिव्य घटनाओं के शताब्दी वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. यह शताब्दी वर्ष केवल गायत्री परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए विचार क्रांति और अध्यात्मिक पुनर्जागरण का वर्ष होगा.

2011 में हो गया था हादसा: बता दें कि 2011 में नीलधारा टापू पर हवन के दौरान हुई भगदड़ की दर्दनाक घटना ने शांतिकुंज प्रबंधन को कड़ा सबक दिया है. उस हादसे में कई भक्तों की जान गई थी. बाद में नगर कोतवाली में प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था, जिसे बाद में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने जनहित में वापस लिया था.

नो आईडी नो एंट्री: इस बार व्यवस्थाओं को लेकर शांतिकुंज प्रबंधन और जिला प्रशासन के बीच पूरा तालमेल रहेगा. भीड़ नियंत्रण, मार्ग व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं और आपातकालीन रिस्पांस सिस्टम को लेकर विस्तृत प्लान तैयार किया गया है. आयोजन स्थल पर बिना आईडी कार्ड किसी को प्रवेश नहीं मिलेगा. दावा है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि होगी और 2011 जैसी लापरवाही दोहराने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाएगा.

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