एफएनएन वर्ल्ड डेस्क, नई दिल्ली। कनाडा ने एक बार फिर भारत को आंखें दिखाते हुए भारतीय नागरिकों की विजिटर वीजा अवधि को छह माह से घटाकर एक माह तक सीमित कर दिया है। इस फैसले से सात लाख से भी ज्यादा भारतीय आप्रवासियों की मुश्किलें बहुत बढ़ गई है। उन्हें एक महीने में कनाडा छोड़ना होगा। कनाडा में रहने के लिए आप्रवासियों को अब हर साल नए सिरे से टूरिस्ट वीजा बनवाना होगा।
वीजा प्रणाली को सख्त बनाने के मक़सद से कथित तौर पर लिए गए कनाडा सरकार के इस फैसले से भारतीय नागरिकों को लंबी अवधि के वीजा की सुविधा खत्म हो जाएगी। इसका सबसे अधिक असर पंजाबी समुदाय के लोगों पर होगा, जिनका कनाडा आना-जाना लगा रहता है।
आप्रवासन से बेतहाशा बढ़ी कनाडा की आबादी
कनाडा के वैंकुवर में रह रहे नामचीन लेखक और पंजाबी चिंतक सुखविंदर सिंह चोहला का कहना है कि कनाडा में पिछले दो साल से ब्याज दरें इतनी तेजी से बढ़ी हैं कि ज्यादातर लोगों के लिए घर खरीदना असंभव हो गया है। बड़े पैमाने पर आप्रवासन लहर के कारण कनाडा की जनसंख्या भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
2023 में 12 लाख टूरिस्ट वीजा, इनमें 60 फीसदी पंजाब मूल के
कनाडा वीजा एक्सपर्ट सुकांत का कहना है कि टूरिस्ट वीजा की दस साल की मौजूदा मियाद खत्म होने का सबसे ज्यादा असर वहां रह रहे पंजाबियों पर होगा। कनाडा में वर्ष 2021 में भारतीयों को 2 लाख 36 हजार टूरिस्ट वीजा जारी किए गए थे, लेकिन 2022 में भारतीयों के टूरिस्ट वीजा की तादाद 393 फीसदी उछलकर 11 लाख 67 हजार तक पहुंच गई। 2023 में ही यह संख्या 12 लाख से अधिक हो चुकी थी। इनमें 60 फीसदी से अधिक पंजाब मूल के हैं। हर साल 1.5 लाख बच्चे पढ़ाई के लिए पंजाब से कनाडा जाते हैं, वह भी प्रभावित होंगे।
सुपर वीजा पर भी होगा फैसले का असर?
चोहला के मुताबिक, कनाडा सरकार ने यह भी साफ नहीं किया है कि क्या सुपर वीजा पर भी इस फैसले का असर होगा? सुपर वीजा उन्हें दिया जाता है, जिनके बच्चे कनाडा में पीआर हैं या सिटीजन हैं। ऐसे लोग 5 साल तक कनाडा में रह सकते हैं।