एफएनएन, रुद्रपुर : सुप्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर में आंवला (बरेली मंडल) से भाजपा सांसद धर्मेंद्र कश्यप के अभद्र व्यवहार पर उबाल आ गया है। शिवधाम में सत्ता की हनक करार दे प्रबंधक से गालीगलौज व धक्कामुक्की मामले में पुजारी भड़क उठे हैं। विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने इसे देवभूमि एवं पंडिताचार्यों का अपमान बता धरना शुरू कर दिया। वहीं प्रबंधक भगवान भट्ट ने भाजपा सांसद के सुविधा शुल्क संबंधी आरोप को निराधार करार दिया।
मामला बीते शनिवार का है। आंवला से भाजपा सांसद धमेंद्र कश्यप, उनके साखी मोहन राजपूत व सुनील तायल शाम जागेश्वरधाम पहुंचे। ये लोग हर माह दर्शन को आते रहते हैं। सांसद व उनके सहयोगियों को पहले ही बता दिया गया था किक कोरोनाकाल में कोविड-19 नियमों के तहत सायं छह बजे बाद पूजा नहीं होगी। पुजारियों के अनुसार भाजपा सांसद कश्यप ने पूजा कर ली मंदिर से बाहर आने के बजाय इधर उधर घूमते रहे। एतराज पर उन्होंने खुद को भाजपा सांसद बता हनक दिखाई।
बाहर मौजूद अन्य श्रद्धालु भी कश्यप को देख पूजन के लिए मंदिर में प्रवेश की जिद करने लगे। तब प्रबंधक ने सांसद कश्यप से छह बजने व मंदिर का गेट बंद किए जाने की बाध्यता बताई। इस पर सासंद कश्यप भड़क उठे। प्रबंधक भगवान भट्ट से सांसद व दो अन्य साथियों नेन बहस व धक्कामुक्की शुरू कर दी गई। शिव केक धाम में गालीगलौज की गई।
पुजारियों व मौजूद श्रद्धालुओं ने अभद्रता पर आमादा भाजपा सांसद कश्यप काक वीडियो बना लिया जो वायरल भी हो गया। इस बीच स्थानीय लोगों व पुजारियों ने सांसद को घेर लिया। मंदिर में क्षमा याचना को कहा तो किसी तरह चंगुल से छूट सांसद कश्यप वाहन में बैठ खिसक लिए। इधर रविवार को पूरे मामले में आक्रोश पनप गया। जिन्हें पता नहीं था वायरल वीडियो देख सांसद के खिलाफ उतर आया।
ये बैठे धरने पर
विधायक गोविंद कुंजवाल, जिलाध्यक्ष पीतांबर पांडेय अल्मोड़ा जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष दीवान सिंह भैसोड़ा, प्रशांत भैसोड़ा, ब्लाक अध्यक्ष पूरन बिष्ट, संगठन मंत्री कमल बिष्ट, राजेन्द्र बिष्ट, राजेंद्र बनौला, भगवान भट्ट, प्रधान हरिमोहन भट्ट आदि।
क्या कहा, जागेश्वर मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष ने
जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति (ट्रस्ट) के उपाध्यक्ष गोविंद गोपाल ने बताया कि मंदिर परिसर भक्ति के लिए है और परिसर में शांतिपूर्ण बने रहना एक भक्त की आवश्यकता होती है। मंदिर परिसर में हुई घटना अत्यंत निंदनीय है। सांसद होने का दावा करने वाले व्यक्ति का ऐसा व्यवहार नहीं हो सकता है। हमें शैव धर्म से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। तांडव भगवान शिव का ही विशेषाधिकार है। भक्त को इतना विनम्र होना चाहिए कि वह उनका आशीर्वाद स्वीकार कर सके। कोई भी मंदिर के कर्मचारियों को आतंकित नहीं कर सकता।