एफएनएन, बरेली: उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक कई साल पहले 55 हजार का ऋण लेने वाले छेदालाल से ब्याज समेत 3.14 लाख की वसूली के लिए नोटिस पर नोटिस जारी किए जा रहा था, लेकिन आरटीआई के जरिए जब छेदालाल जाल बिछाया तो न सिर्फ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तक उसमें फंस गया बल्कि प्रशासन के अफसर भी चकरा गए हैं। छेदालाल ने बैंक पर ही 1.60 करोड़ का बकाया निकाल दिया है और डीएम से उसका भुगतान कराने की मांग की है।
दरअसल, यह छेदालाल का अनोखा खेल एक आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दी गई इस अविश्वसनीय सी जानकारी देने के बाद शुरू हुआ कि एक रुपये के सिक्के में 24 कैरट का .777 मिलीग्राम सोना होता है। इसके बाद छेदालाल ने डीएम को रिजर्व बैंक के जवाब की प्रति के साथ प्रार्थनापत्र देकर जिद पकड़ ली है कि वह सिक्कों के हिसाब से ही अपना ऋण अदा करना चाहते हैं।
इस प्रार्थनापत्र में उन्होंने सारा हिसाब समझाते हुए बताया है कि बैंक में उनके 28 सौ रुपये जमा किए थे। इन्हें सिक्कों में तब्दील किया जाए तो उनमें मौजूद सोने के हिसाब से उनका बैंक पर ही 1.60 करोड़ का बकाया निकल रहा है। उन्होंने जल्द से जल्द इसकी अदायगी कराने की मांग की है। उन्होंने प्रार्थनापत्र के साथ अंग्रेजों के समय में जारी सिक्के और 1934 और उसके बाद जारी सिक्कों की छाया प्रति भी संलग्न की हैं।
छेदालाल का गणित जिसमें उलझा प्रशासन
मीरगंज के गांव गुलड़िया में रहने वाले छेदालाल ने प्रशासन को दिए प्रार्थनापत्र में जिक्र किया है कि आरबीआई के अधिकारी के. श्रीनिवासन ने 14 अगस्त 2023 को उनकी आरटीआई के जवाब में सन् 1934 से अब तक एक रुपये के सिक्के में 24 कैरेट का .777 मिलीग्राम सोना होने की लिखित जानकारी दी थी।
इस समय 10 ग्राम सोना लगभग 75 हजार का है। इस हिसाब से .777 मिलीग्राम सोना 5827 रुपये का होता है। उनके बैंक में 28 सौ रुपये जमा हैं। सिक्कों के हिसाब से 28 सौ रुपये में 2 किलो 175 ग्राम सोना होता है जिसकी कीमत 1 करोड़ 63 लाख 17 हजार रुपये है। इस तरह 3.14 लाख का बकाया काटने के बाद भी उनका बैंक पर 1.60 करोड़ से ज्यादा रुपया निकल रहा है। छेदालाल ने अपने प्रार्थनापत्र में आरबीआई का जवाब संलग्न करने के साथ डीएम से बैंक से अपनी बकाया रकम दिलाने की मांग की है।
प्रशासन ने अग्रणी जिला प्रबंधक पर टाला मामला
छेदालाल ने 12 अगस्त को आरटीआई के तहत प्रार्थनापत्र देकर जिला प्रशासन पर भी कई सवाल दागे हैं।अफसरों पर इसका जवाब देते नहीं बना तो कलेक्ट्रेट के सूचना अधिकारी (नोडल) एवं एडीएम फाइनेंस संतोष बहादुर सिंह ने यह मामला अग्रणी जिला प्रबंधक को बढ़ा दिया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि आवेदक की ओर से मांगी गई जानकारी उनके कार्यालय के क्षेत्राधिकार में है, इसलिए उन्हें स्थानांतरित की जा रही है।