
एफएनएन, नागपुर/नई दिल्ली: भागवत ने कहा कि भारत हजारों साल से विद्यमान है। यहां तपस्या का महत्त्व है। जो व्यक्ति स्वयं को प्राप्त कर लेता है, उसे यह समझ आ जाता है कि कोई पराया नहीं है, और सबके लिए निःस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत में देव भक्ति और देशभक्ति अलग-अलग नहीं है। इनके लिए दो अलग-अलग शब्द हैं, लेकिन जो देवभक्त होता है, वह स्वाभाविक रूप से देशभक्त भी होता है, और जो देशभक्त होता है, ईश्वर उससे भी देवभक्ति करा लेते हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम सत्य तक पहुंचने के 108 अलग-अलग मार्ग हैं, लेकिन सबको एक ही सत्य तक पहुंचना है।

