Sunday, July 13, 2025
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Homeराज्यउत्तर प्रदेशदेशव्यापी हड़ताल, 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी होंगे शामिल

देशव्यापी हड़ताल, 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी होंगे शामिल

एफएनएन, नई दिल्ली:  9 जुलाई 2025 को देशभर में भारत बंद का व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है। यह हड़ताल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा बुलाई गई है। प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार की उन नीतियों का विरोध कर रहे हैं, जिन्हें वे श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट-पक्षपाती मानते हैं।

हड़ताल में कौन-कौन शामिल?

इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में बैंक, परिवहन, डाक, कोयला खनन और निर्माण जैसे क्षेत्रों के लगभग 25 करोड़ कर्मचारी और ग्रामीण मजदूर हिस्सा ले रहे हैं। इससे कई राज्यों में सार्वजनिक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।

क्या रहेगा खुला और क्या बंद?

स्कूल, कॉलेज और निजी कार्यालय सामान्य रूप से खुले रहने की संभावना है, लेकिन परिवहन, बैंकिंग और डाक सेवाओं में व्यवधान के कारण आम लोगों को असुविधा हो सकती है।

बिजली आपूर्ति पर संभावित असर

हड़ताल का प्रभाव बिजली क्षेत्र पर भी पड़ सकता है। बिजली क्षेत्र से जुड़े 27 लाख से अधिक कर्मचारी इस बंद में शामिल हो रहे हैं, जिसके चलते कई राज्यों में बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ यह व्यापक भागीदारी होगी।

रेल सेवाओं पर प्रभाव की संभावना

हालांकि रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से हड़ताल में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, फिर भी इसका अप्रत्यक्ष असर रेल सेवाओं पर पड़ सकता है। रेल नेटवर्क पूरी तरह ठप होने की संभावना कम है, लेकिन कुछ मार्गों पर ट्रेनों में देरी, प्लेटफॉर्म पर भीड़ या स्थानीय व्यवधान हो सकते हैं। यात्रियों को सुझाव दिया गया है कि वे यात्रा से पहले अपने मार्ग की जानकारी जरूर जांच लें।

केरल में स्थिति अस्पष्ट

केरल के परिवहन मंत्री के. बी. गणेश कुमार ने कहा कि केएसआरटीसी (KSRTC) बसें बुधवार को सामान्य रूप से चलेंगी, क्योंकि यूनियनों से हड़ताल की कोई सूचना नहीं मिली। हालांकि, ट्रेड यूनियनों ने इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि हड़ताल की सूचना पहले ही दी जा चुकी है और KSRTC कर्मचारी भी भारत बंद में शामिल होंगे।

यूनियनों का दृष्टिकोण

इस हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा, कृषि मजदूर यूनियनों और कई क्षेत्रीय संगठनों का समर्थन प्राप्त है। यूनियनों का कहना है कि यह आंदोलन श्रम कानूनों में संशोधन, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण, संविदा रोजगार के विस्तार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के खिलाफ है।

किसानों और ग्रामीण संगठनों की भूमिका

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और कृषि मजदूर यूनियनों के समर्थन से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और सड़क जाम की योजना बनाई गई है। यह समर्थन हड़ताल को और मजबूती प्रदान कर रहा है।

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

हड़ताल का नेतृत्व कर रहे संगठनों ने केंद्र सरकार के समक्ष निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी हैं:
1. चार नए श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए।
2. युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं और सरकारी रिक्तियां तत्काल भरी जाएं।
3. मासिक न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये सुनिश्चित किया जाए।
4. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू किया जाए।
5. 8 घंटे के कार्यदिवस की गारंटी दी जाए।
6. शहरी क्षेत्रों में मनरेगा को विस्तारित किया जाए।
7. अग्निपथ योजना को रद्द किया जाए।
8. यूनियन गठन और हड़ताल के अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा की जाए।
9. स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सार्वजनिक सेवाओं को सशक्त किया जाए।

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