केरल और पश्चिम बंगाल एसटीएफ के साथ मिलकर असम पुलिस की एफटीएस ने भारी जोखिम के बीच अंतरराष्ट्रीय आतंकी सिंडीकेट को किया ध्वस्त
एफएनएन नेशनल डेस्क, गुवाहाटी-असम। असम पुलिस की एफटीएस ने पश्चिम बंगाल और केरल एसटीएफ के साथ मिलकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूह की योजना पर पानी फेरते हुए दिया है।
असम पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने पश्चिम बंगाल और केरल एसटीएफ के साथ मिलकर एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन से जुड़े एक महत्वपूर्ण आतंकवाद मॉड्यूल को नष्ट का भांडा फोड़ किया है। इस संयुक्त अभियान में आठ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन प्रघात” नाम दिया गया।
असम एसटीएफ के प्रमुख डॉ. पार्थ सारथी महंता के मार्ग दर्शन में मंगलवार और बुधवार को कईसमन्वित तलाशी और जब्ती अभियान चलाए गए। यह जानकारी गुरुवार को असम पुलिस के स्पेशल डीडीपी हरमीत सिंह ने दी।सिंह ने बताया कि अभियान एक लंबी जांच के बाद चलाया गया, जो मोहम्म फरहान इसराक.की गतिविधियों से संबंधित था। वह जासिमुद्दीन रहमानी का सहयोगी है, जो अल-कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप शाखा, “अन्सरुल्ला बंगला टीम” (एबीटी) का प्रमुख है।
बांग्लादेशी नागरिक मो. साद रादी उर्फ मो. साहब शेख, को नवंबर 2024 में भारत भेजा गया था ताकि वह कट्टरपंथी विचारधाराओं को फैलाए और स्लीपर सेल स्थापित करे। केरल जाने से पहले, साद ने असम और पश्चिम बंगाल में यात्रा की थी, जहां उसने समान विचारधारा वाले व्यक्तियों की भर्ती की थी। इसक बाद असम के एसटीएफ प्रमुख डॉ. पार्थ सारथी महंता, के मार्गदर्शन में, ऑपरेशन प्रघात के तहत मंगलवार और बुधवार को को कई समन्वित तलाशी और जब्ती अभियान चलाए गए।
पुलिस के फंदे में फंसे ये कट्टरपंथी
जिन्हें गिरफ्तार किया गया है, उनकी पहचान बांग्लादेशी नागरिक मो. साद रादी, इसे बिना वैध दस्तावेज के केरल में पड़का। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से मिनारुल शेख और मो. अब्बास अली को गिरफ्तार किया गया। असम के कोकराझार से नूर इस्लाम मंडल, अब्दुल करीम मंडल, मुजिबर रहमान और हमीदुल इस्लाम को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह से असम के धुबुरी जिले से एनामुल हक को गिरफ्तार किया गया है।
राष्रीय महत्व के दस्तावेज और आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद
इस बेहद सफल ऑपरेशन से पकड़े गए आतंकियों की निशानदेही पर राष्ट्रीय महत्व के कई अहम दस्तावेज और बहुत सी अति आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद हुई है, जिसमें संदिग्ध ऐप्स वाले कई मोबाइल फोन, कट्टरपंथी प्रचार सामग्री, बांग्लादेशी-निर्धारित पहचान दस्तावेज, और महत्वपूर्ण साक्ष्य वाले पेन ड्राइव शामिल हैं।
स्लीपर सेल स्थापित करना था मकसद
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कुख्यात आतंकियों का यह मॉड्यूल असम और पश्चिम बंगाल में स्लीपर सेल स्थापित करने का लक्ष्य रखता था ताकि उपद्रवी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। इन इकाइयों का उद्देश्य स्थानीय कमजोरियों और धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाकर समाज में अशांति फैलाना था।
पहले भी अरेस्ट हो चुका है एक आतंकी
गिरफ्तार हुए इन आतंकियों में से नूर इस्लाम मंडल 2015 में भी राष्ट्रीय सुरक्षा विरोधी गतिविधियां चलाने और आतंकियों के कई भर्ती अभियानों में केंद्रीय भूमिका निभाने जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तार हो चुका था। कोर्ट से जमानत पर छूटने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और कोलकाता में आंतकियों की गुप्त बैठकें लेकर हिंदू संगठनों को निशाना बनाते हुए धार्मिक नेताओं की हत्या की साजिश भी रच रहा था।
भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की थी योजना
मॉड्यूल की गतिविधियों में चीन-पाकिस्तान और कुछ अन्य भारत के परंपरागत दुश्मन देशों से भारी मात्रा में विॉध्वंसक हथियार और गोला-बारूद खरीदकर भी भारतीय गणराज्य के खिलाफ छद्मयुद्ध छेड़ना प्रमुख रूप से शामिल था। असंम एसटीएफ और असम पुलिस के उच्चतम अधिकारी बेहद खतरनाक इस मॉड्यूल के समूचे नेटवर्क को पूरी तरह तबाह करने के बड़े मिशन में जान तक जोखिम में डालते हुए इन दिनों रात-दिन एक किए हुए हैं।