यूरोपीय स्पेस एजेंसी से मिला था लांचिंग का कांट्रेक्ट, PSLV-C59 रॉकेट से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में किया गया स्थापित
एफएनएन ब्यूरो, नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा-आंध्र प्रदेश। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को आखिरकार एक और गौरवपूर्ण-ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 (PROBA-3) मिशन की श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्चिंग कर दी है। हालांकि कल बुधवार को तकनीकी खामी के कारण इसकी लॉन्चिंग कुछ समय के लिए टाल दी गई थी। प्रोबा-3 की लॉन्चिग के लिए इसरो द्वारा PSLV-C59 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया। प्रोबा-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंट सैटेलाइट है। प्रोबा-3 मिशन के तहत कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर सैटेलाइट को स्पेस में भेजा गया है। ये सैटेलाइट सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेंगे।
इसरो की ये सफल कॉमर्शियल लॉन्चिंग है। यह मिशन अंतरिक्ष में जाकर आर्टिफिशियल सोलर सिस्टम बनाएगा। इसमें दो सैटेलाइट्स हैं जिनका काम मौसम और सूर्य के बारे में गहन अध्ययन करना है। दोनों आर्टिफिशियल सोलर सिस्टम बनाकर सूर्य को समझेंगे और मौसम के बारे में दुनिया को सबसे लेटेस्ट जानकारियां और सटीक पूर्वानुमान दे सकेंगे। यह हमें बताएगा कि अंतरिक्ष का कितना तापमान है, कितना घनत्व है। सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के बारे में भी यह मिशन सटीक जानकारी देगा।
इसरो चेयरमैन ने एक एक्स पोस्ट में कहा, “PSLV-C59 सफलतापूर्वक आसमान में उड़ गया है जो कि ESA के अभूतपूर्व PROBA-3 उपग्रहों को तैनात करने के लिए, इसरो की तकनीकी विशेषज्ञता के साथ, NSIL के नेतृत्व में एक वैश्विक मिशन की शुरुआत का प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों के तालमेल का जश्न मनाने वाला एक गौरवपूर्ण क्षण!”
बंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने मूल रूप से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोबा-3 को बुधवार को शाम 4.08 बजे यहां के स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपित करने की योजना बनाई थी। हालांकि, प्रक्षेपण से कुछ देर पहले ही यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अनुरोध के बाद इसरो ने पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 के प्रक्षेपण का समय पुनर्निधारित किया और प्रक्षेपण की उल्टी गिनती के लिए 5 दिसंबर को शाम चार बजकर चार मिनट का समय तय किया। उपग्रह प्रणोदन प्रणाली में विसंगति पाए जाने के बाद इसे पुनर्निर्धारित किया गया।
इसरो के चेयरमैन ने एक अद्यतन जानकारी में कहा, ‘”पीएसएलवी-सी59/प्रोबा-3 मिशन। उल्टी गिनती शुरू हो गई है। प्रक्षेपण का समय 5 दिसंबर, 2024 को शाम चार बजकर चार मिनट निर्धारित किया गया है। पीएसएलवी-सी59 के ईएसए के प्रोबा-3 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की तैयारी के लिए बने रहें।” इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस।इंडिया लिमिटेड’ को ईएसए से यह ऑर्डर मिला है।
प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड एनाटॉमी) में दो उपग्रह–कोरोनाग्राफ (310 किलोग्राम) और ऑकुल्टर (240 किलोग्राम) हैं। ये सूर्य के बाहरी वायुमंडल कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक मिलीमीटर तक सटीक संरचना बनाएंगे। ईएसए ने कहा कि कोरोना सूर्य से भी ज्यादा गर्म है और यहीं से अंतरिक्षीय मौसम की उत्पत्ति होती है। यह व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक रुचि का विषय भी है।
क्या है प्रोबा-3 मिशन?
प्रोबा 3 में भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स आपस में जुड़े हुए होंगे जिन्हें अंतरिक्ष में अलग किया जाएगा। इसमें दो मुख्य हिस्से होंगे। एक हिस्सा प्रयोगात्मक होगा और दूसरा हिस्सा परिस्थिति उत्पन्न करने का कार्य करेगा। प्रयोगात्मक हिस्से में एक कोरोना ग्राफ होगा जो सूर्य के कोरोना की तस्वीरें लेगा। दूसरा हिस्सा एक आकल्टर डिस्क होगा जो करीब 1.4 मीटर आकार का है और 150 मीटर की दूरी से कोरोना ग्राफ के लेंस पर 8 सेंटीमीटर की छवि बनाएगा।