Friday, April 25, 2025
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कोर्ट की शर्तों की अनदेखी कर एनएसजी कमांडो को धोखे से बेच दी कार, दो शातिरों और बैंक प्रबंधक पर एफआईआर

कमांडो की याचिका पर न्यायालय के आदेश पर बरेली कोतवाली सदर में मुकदमा हुआ दर्ज

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुकी कंपनी की कार शातिरों ने कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर धोखे से एनएसजी कमांडो को बेच दी। कार चोरी होने पर धोखाधड़ी का पता लगा कमांडो ने दोनों शातिरों और बैंक प्रबंधक समेत चार लोगों के विरुद्ध न्यायालय की शरण ली थी। कोर्ट के आदेश पर बरेली कोतवाली सदर में दोनों शातिरों और तत्कालीन बैंक प्रबंधक समेत चार लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।

एनएसजी कमांडो अमोल कुमार इस समय हरियाणा के मानेसर कैंप में तैनात हैं। अमोल ने बरेली कोतवाली सदर पुलिस को तहरीर देकर बताया कि पंचकूला निवासी अनुराग मिढ़ा और सोनीपत के गांव जटवारा निवासी विक्रांत खत्री ने कम कीमत में अच्छी कार खरीदवाने के लिए अमोल से संपर्क किया था।

अनुराग और विक्रांत ने बताया था कि लोन की किस्तें जमा नहीं करवाने पर कोटक महिंद्रा बैंक सिविल लाइन शाखा बरेली द्वारा मैसर्स श्री गंगा इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड की कार जब्त कर ली गई है। यह कार आपको बाजार से काफी कम दाम में दिलवा देंगे। अनुराग ने अमोल को मीठी बातों के जाल में फंसाकर उससे 8,61,760 रुपये ले लिए और जनवरी 2020 में एसीजेएम प्रथम बरेली के आदेश पर कार रिलीज करवाकर अमोल को दिलवा भी दी।

कार चोरी होने पर हुआ फर्जीबाड़े का खुलासा
अनुराग और विक्रांत ने कुछ ही दिनों में कार को अमोल के नाम ट्रांसफर करवाने का भरोसा दिलाया था। इस बीच अमोल ने इस कार का बीमा भी करा लिया। लेकिन, वर्ष 2021 में यह कार गुरुग्राम से चोरी हो गई। अमोल ने बीमा कंपनी में क्लेम के लिए आवेदन किया तो उनके नाम पर कार का पंजीकरण नहीं होने की वजह से बीमा राशि का दावा आवेदन खारिज कर दिया गया।

अमोल ने अनुराग, विक्रांत, कोटक महिंद्रा बैंक सिविल लाइन शाखा के तत्कालीन प्रबंधक और संबंधित बैंक कर्मी दीपक से उनको हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए कहा लेकिन आरोपियों ने मना कर दिया। कानूनी नोटिस का भी जवाब नहीं दिया। मजबूरन न्यायालय में इस्तगासा दायर करना पड़ा। अब न्यायालय के आदेश पर कोतवाली सदर में इन चारों आरोपियों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

कभी एमडी की लग्जरी कारों में एक थी

बताते चलें कि यह कार कभी फ्राॆड कंपनी के एमडी के लग्जरी कारों के काफिले का हिस्सा हुआ करती थी। कंपनी बरेली में ही निवेशकों के 300 करोड़ रुपये डकार चुकी है और कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है।

कोर्ट की शर्तों की अनदेखी कर बेची थी कार

न्यायालय जब भी गाड़ी रिलीज करने का आदेश देता है तो गाड़ी को बेचने और खुर्द-बुर्द करने से रोकने के लिए आदेश में शर्तों का जिक्र भी करता है। इस मामले में शातिरों ने न्यायालय के आदेश की अनदेखी कर तथ्यों को छुपाते हुए कार कमांडो को बेच दी। कोतवाली पुलिस न्यायालय के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज कर मामले की छानबीन में जुट गई है।

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